गीत/नवगीत

कहानी जोश की

मन बुढा हो तो तन बुढा ‘ सीख़ हमें दे जाती है
सौ साल की दादी जब ‘ स्वर्ण पदक ले जाती है ।
सौ मीटर हैं दौड़ी ‘मन जी’ सिर्फ इक्क्यासी पल में ही
अपनी हिम्मत और लगन से कीर्तिमान रच जाती हैं ।।

कौन हैं इनके गुरु सुन हक्के बक्के रह जाओगे
देख हौसला इन दोनों का नतमस्तक रह जाओगे ।
निज सपूत को गुरु मान यह माँ जलवे दिखलाती है
अपनी हिम्मत और लगन से कीर्तिमान रच जाती है ।।

नहीं दौड़ में सिर्फ वरन भाला भी बढ़िया फेंका है
और शोट्गन में भी इनको अचरज से सबने देखा है ।
इन खेलों में पदक जीत सबको हैरत दे जाती है
अपनी हिम्मत और लगन से किर्तिमान रच जाती है।।

जीतनी भी तारीफ़ करें वह लगती बहुत ही थोड़ी है ,
जा विदेश में झंडा गाड़े माँ बेटे की जोड़ी है  ।
सात साल के सद्प्रयास का मीठा फल वह पाती है
अपनी हिम्मत और लगन से कीर्तिमान रच जाती है ।।

उम्र नहीं आड़े आती गर लगन हौसला जिन्दा हो ,
देख के इनके करतब को कितने युवा शर्मिंदा हो ।
नतमस्तक हूँ मैं भी ये तो भारत माँ की थाती है
अपनी हिम्मत और लगन से कीर्तिमान रच जाती है ।।

( अमेरिका में 100 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जितनेवाली 100 वर्षीया आदरणीया मन कौर और उन्हें इसके लिए प्रोत्साहित करनेवाले और उनके गुरु की भूमिका निभानेवालेे 78 वर्षीय सुपुत्र श्री गुरुदेव सिंह जी का कोटिशः अभिनन्दन और उन्हें समर्पित रचना )

*राजकुमार कांदु

मुंबई के नजदीक मेरी रिहाइश । लेखन मेरे अंतर्मन की फरमाइश ।

6 thoughts on “कहानी जोश की

  • नीतू शर्मा

    बहुत खूब आदरणीय, अतिसुन्दर रचना

    • राजकुमार कांदु

      सार्थक व सटीक प्रतिक्रिया के लिए आपका धन्यवाद ।

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    उम्र नहीं आड़े आती गर लगन हौसला जिन्दा हो

    देख के इनके करतब को कितने युवा शर्मिंदा हो

    नतमस्तक हूँ मैं भी ये तो भारत माँ की थाती है

    अपनी हिम्मत और लगन से कीर्तिमान रच जाती है । वाह वाह ,कमाल ही कर दिया आप ने राजकुमार भाई !

    • राजकुमार कांदु

      आदरणीय भाईसाहब ! आदरणीया मन कौर की हिम्मत और लगन को देखकर यह विचार उठना स्वाभाविक ही है । उत्साहवर्धक सार्थक व त्वरित प्रतिक्रिया के लिए आपका ह्रदय से आभार ।

  • लीला तिवानी

    प्रिय राजकुमार भाई जी, आपकी खूबसूरत रचनाएं भी अपने आप में एक अनोखा कीर्तिमान रच रही हैं. एक नायाब और सार्थक रचना के लिए आभार.

    • राजकुमार कांदु

      श्रद्धेय बहनजी ! आपने अपने ब्लॉग में आदरणीया मन जी की उपलब्धियों की इतनी बढ़िया काव्यमय प्रस्तुति की कि मैं भी कुछ लिखे बिना रह नहीं पाया । कीर्तिमान बने या न बने मेरी रचनाएँ आपको नायाब और सार्थक लगती रहें यही उपलब्धि मेरे लिए संतोषप्रद है । उत्साहवर्धक सार्थक और त्वरित प्रतिक्रिया के लिए आपका ह्रदय से धन्यवाद ।

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