आओ हम नफरत करें
“आओ हम नफरत करे”
आओ हम नफरत करें,
सब मिलजुल ये संकल्प करें।
नफरत की दुनिया में रहकर,
नफरत से हम प्यार करें।
नफरत करें उस पाप से,
जो मानवता को निगलता है।
भेदभाव और छुवाछूत की,
भावना को जो प्रेरित करता है।
नफरत करें उस सोच से,
जो रिश्तों में दरारें लाता है।
परिवार की नींव हिलाकर के,
समाज को कमजोर बनाता है।
नफरत करें उस आचरण से,
जो बच्चों को गलत बनाता है।
उग्र, उपद्रवी, हिंसात्मकता का,
बीज जो रोपण करता है।
नफरत करें उस राजनीति से,
जो शोषण देश का करती है।
सत्ता के लालच में रहकर,
जो व्यापार देश का करता है।
नफरत करें उस नफरत से,
जो खून प्रेम का करती है।
मानव से मानवता को छीन,
जो नफरत के पेड़ उगाता है
जो नफरत के पेड़ उगाता है।।
सुचिसंदीप
तिनसुकिया
बहुत सटीक और प्रेरणाप्रद रचना ! बधाई ………..
बहुत सटीक और प्रेरणाप्रद रचना ! बधाई ………..