कविता

मेरी गुड़िया (कविता)

क्यों तेरी चंचलता भी न रही
वो रूठने की अदा भी न रही
वो ज़िद्द कर कर के
खिलोनो के लिए बिफरना
वो उछालने कूदने की चपलता न रही
बाप से ज्यादा माँ से जुडी हो गयी
शायद,
मेरी गुड़िया बड़ी हो गयी

वो सुबह सुबह
पैसों के लिए हाथ बढाना
कहीं जाने लगूँ
तो चुपके से पीछे आना
बड़ी बहन के लिए कुछ खरीदूं
तो अपने लिए भी लेने की खातिर
मुझे देखके शातिराना मुस्कुराना
वो हर बात में हँसना
और छोटी सी बात पे रूठ जाने
कि अदा कहाँ रुसवा हो गयी है
शायद
मेरी बेटी बड़ी हो गयी
हाँ
मेरी गुड़िया बड़ी हो गयी
#महेस_कुमार_माटा

महेश कुमार माटा

नाम: महेश कुमार माटा निवास : RZ 48 SOUTH EXT PART 3, UTTAM NAGAR WEST, NEW DELHI 110059 कार्यालय:- Delhi District Court, Posted as "Judicial Assistant". मोबाइल: 09711782028 इ मेल :- [email protected]