अगीत कविता : एक परिचय
अगीत कविता विधा महाप्राण निराला से आगे मुक्त अतुकान्त छ्न्द की नवीन धारा है, जिसने सन्क्षिप्तता को धारण किया है; जो आज के युग की आवश्यकता है। यह ५ से ८ पन्क्तियॊ की कविता है। यथा—
मानव व पशु मॆं यही है अन्तर,
पशु नहीं करता ,
छ्लछन्द और जन्तर- मन्तर।
शॆतान ने पशु को,
माया सन्सार कब दिखाया था;
ग्यान का फ़ल तो ,
सिर्फ़ आदम ने ही खाया था। –डा. श्याम गु्प्त
आजकल अगीत में निम्न प्रकार के छन्द प्रयोग में हैं—
१. अगीत छन्द—उपरोक्त उदाहरण.
२. लयबद्ध- अगीत—–उदाहरण——- ५ से ८ पंक्तियों का सममात्रिक अतुकांत छंद, प्रत्येक पंक्ति में १६ मात्राएँ ….
श्रेष्ठ कला का जो मन्दिर था,
तेरे गीत सजा मेरा मन,
प्रियतम तेरी विरह पीर में;
पतझर सा वीरान होगया ।
जैसे धुन्धलाये शब्दों की ,
धुन्धले अर्ध मिटे चित्रों की,
कला बीथिका एक पुरानी ।
3. लयबद्द षटपदी अगीत छन्द— निश्चित छह पन्क्तियों वाला ,सममात्रिक ,१६ मात्रायें–
’पर ईश्वर है जगत नियन्ता ,
कोई है अपने ऊपर भी,
रहे तिरोहित अहम भाव सब ,
सत्व गुणों से युत हो मानव,
सत्यं,शिवम भाव अप नाता,
सारा जग सुन्दर हो जाता ।
4.नव-अगीत—३ से अधिक ५ से कम पन्क्तियों वाला अमात्रिक,अतुकान्त अगीत छन्द—
आदमी ,
इतना विषैला होगया है;
सांप,
अब आस्तीन में नहीं रहते।
५.त्रिपदा-अगीत— तीन पदोंवाला, १६मात्रिक अतुकान्त अगीत छन्द—
प्रीति –प्यार में नया नहीं कुछ,
वही पुराना किस्सा यारो ;
लगता शाश्वत नया-नया सा ।
६.त्रिपदा अगीत गज़ल – त्रिपदा-अगीत छन्दों की मालिका, तीन से अधिक छन्द, प्रथम छन्द के तीनों पदों के अन्त मैं वही शब्द पुनरावृत्ति, शेष छन्दों की अन्तिम पन्क्ति मैं वही शब्द आवृत्ति….जिसमें कवि अपना नाम भी सम्मिलित कर सकता है |
लाख बद्दुआयें दीं दिल से,
बहुत चाहा न चाहें दिल से;
पर न निकल पाये वो दिल से
सोचा चले जायें महफ़िल से,
यह न होगा अब तो दिल से;
बुलाया जो आप्ने दिल से ।
लाख दुआ करे ये दुनिया,
मन्नतें माने ’श्याम’ दुनिया;
न निकल पायें आपके दिल से।
– डा. श्याम गुप्त
प्रिय श्याम भाई जी, एक सटीक व सार्थक रचना के लिए आभार.
धन्यवाद लीला जी…आभार