मुक्तक/दोहा

दोहे

बलात्कार पर कर रहे मोदी बिल को पेश ।
दलित नही महिला अगर होगा हल्का केस ।।

ब्लात्कार में भेद कर तोड़ा है विश्वास ।
अच्छे दिन अब लद गए टूटी सबकी आस ।।

कितना सस्ता ढूढ़ता कुर्सी का वह मन्त्र ।
मोबाइल के दाम में बिक जाता जनतन्त्र ।।

सड़को पर इज्जत लुटे मथुरा भी हैरान ।
न्याय बदायूं मांगता सब उनके शैतान ।।

नए सुशासन दौर में जनता है गमगीन ।
सौगातों में ला रहे वही सहाबुद्दीन ।।

छूटा गुंडा जेल से जिसका था अनुमान ।
जंगल राजा दे गया चिर परिचित फरमान ।।

न्याय पालिका मौन है , मौन हुई सरकार ।
अपराधी बेख़ौफ़ सब कैसा भ्र्ष्टाचार ।।

झाड़ू का विश्वास क्या गन्दा इसका कृत्य ।
व्यभिचारी को छोड़कर स्वजन बहारे नित्य ।।

काम वासना शत्रु सम वैरी सकल समाज ।
जो इनसे उन्मुक्त हो पावे जग का ताज ।।

नेह लुटाना विष हुआ जाति पाति के देश ।
आरक्षण के नाम पर नेता बदले भेष ।।

नवीन मणि त्रिपाठी

*नवीन मणि त्रिपाठी

नवीन मणि त्रिपाठी जी वन / 28 अर्मापुर इस्टेट कानपुर पिन 208009 दूरभाष 9839626686 8858111788 फेस बुक [email protected]

2 thoughts on “दोहे

  • विजय कुमार सिंघल

    बेहतरीन दोहे !

  • विजय कुमार सिंघल

    बेहतरीन दोहे !

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