गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

 

हर जगह मोल भाव है भाई ।
आदमी का स्वभाव है भाई ।

आ गए है सभी के अच्छे दिन
बस खयाली पुलाव है भाई ।

नाज करिये न जिंदगानी पर
बस ये कागज की नाव है भाई ।

दूर हो जाती हर बला मुझसे
माँ के आँचल में ठाँव है भाई ।

यूं तो आजाद हम सभी है फिर
मुल्क में क्यूँ तनाव है भाई ।

— धर्म पाण्डेय