‘आप’ के चाल, चरित्र और चिंतन पर संदेह के गहरे बादल
मात्र डेढ़ वर्ष में ही दिल्ली में शासन कर रही आम आदमी पार्टी का चाल, चरित्र और चिंतन अब देश की जनता के समाने जाहिर हो चुका है तथा लगातार हो रहा है। वर्तमान में दिल्ली सरकार के महिला बाल विकास कल्याण मंत्री संदीप कुमार की सेक्स कांड वाली सीडी टीवी चैनलों में आ जाने के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए मुसीबतें कम नहीं हो रही हैं। उनका संकट लगातार बढ़ता ही जा रहा है। नित नये आरोप आम आदी पार्टी के नेताओं पर लग रहे हैं। जिसके कारण अरविंद केजरीवाल के सामने एक गहरा धर्मसंकट और नैतिक संकट खड़ा हो गया है। संदीप कुमार कांड के बाद अब दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष और विधायक अमानतुल्लाह खान और पूर्व कानून मंत्री सोमनाथ भारती महिलाओं के साथ छेड़छाड़ आदि मामलों में बुरी तरह से फंसते जा रहे हैं। आप का चारित्रिक नैतिक पतन बहुत ही तेजी के साथ हो रहा है और आप के लोग यह सब साजिश बताकर पल्ला झाड़ने में लग गये हैं।
एक ओर जहां मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हर बात और हर विषय पर पीएम मोदी और भाजपा सरकार पर ही हमलावर हो रहे थे, वहीं अब दिल्ली में ही उनको धरना-प्रदर्शन और तरह-तरह के सवालों से दो चार होना पड़ रहा है। लेकिन फिलहाल उनके पास बचाव के लिए कुछ भी नहीं है। केजरीवाल बड़ी तेजी के साथ दिल्ली का काम छोड़कर पंजाब, गुजरात और गोवा में भाजपा को हराने का सपना देख रहे थे, लेकिन अब वह स्वयं दिल्ली से लेकर पंजाब तक सवालों के कटघरे में आ गये हैं।
संदीप कुमार सेक्स कांड के बाद अब दिल्ली में महिला सुरक्षा पर गंभीर सवालिया निशान खड़े हुए हैं वहीं अब वहां की जनता में यह डर भी समा गया है कि अब कोई महिला यदि किसी मंत्री या विधायक के पास अपने काम के लिए जाती है तो वह वहां से सुरक्षित वापस आ पायेगी कि नहीं। यह वही दल है जो समाजसेवी अन्ना हजारे के गर्भ से पैदा हुआ और उसी आंदोलन के माध्यम से सत्ता के गलियारे तक पहुँचने में कामयाब रहा। आज अरविंद केजरीवाल बुरी तरह से फंसते नजर आ रहे हैं उन्हें अपने दल के लोगों के बारे में एक राय बनानी ही होगी। आज पूरी दिल्ली में महिला हो या दलित समाज के लोग सभी वर्ग के लोग केजरीवाल हाय-हाय के नारे लगा रहे हैं। संदीप कुमार के सेक्स कांड ने ‘आप’ की हालत बेहद दयनीय कर दी है। वहीं संदीप के बचाव में आप नेता आशुतोष ने ब्लाग लिखकर अपने जो विचार व्यक्त किये और जिस प्रकार से उन्होंने गांधी, नेहरू और अटल बिहारी बाजपेयी के चरित्र पर उंगली उठाने का और संदीप को बचाने का असफल प्रयास किया, उसके बाद केजरीवाल के पास अपने बचाव में रहने व कहने लायक कुछ भी नहीं रह गया है। आज आप नेता आशुतोष भी कानूनी, सामाजिक नैतिकता के शिकंजे में आ चुके हैं। तीन शहरों में उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज हो चुका है। आशुतोष को आप से निकालने की मांग जोर पकड़ती जा रही है। लेकिन केजरीवाल अभी तक निर्णय नहीं ले पाये हैं। जिससे यह साफ पता चल रहा है कि केजरीवाल नैतिकता व मर्यादा के दायरे के बीच कितने गहरे धर्मसंकट में आ गये हैं। वहीं दूसरी ओर उनकी पार्टी के कुछ और नेता आप में घट रही घटनाओं को भाजपा की गहरी साजिश बता रहे हैं।
केजरीवाल पूरी ताकत व उत्साह के साथ पंजाब विधानसभा के चुनाव में कूदने की तैयारी कर रहे थे लेकिन अब वह वहां पर भी फंस चुके हैं। आज पंजाब में आम आदमी पार्टी गहरे सदमे और झटके दौर से गुजर रही है, लिहाजा शिरोमणि अकाली दल और भाजपा गठबंधन तथा कांग्रेस को कुछ राहत अवश्य मिलती नजर आ रही है। पंजाब में आपके सहयोगियों ने ही एक के बाद एक गहरा झटका दिया है। पंजाब में आम आदमी पार्टी के बडे़ नेता सुच्चा सिंह छोटेपुर ने आप नेताओं पर गंभीर आरोप लगाते हुए बगावत कर दी और उसके बाद उनके समर्थन में आप के लगभग 86 पदाधिकारियों ने एक झटके में बगावत कर दी। सुच्चा सिंह व उनके समर्थक अब पूरे पंजाब में केजरीवाल को मजा चखाने के मूड में निकल चुके हैं। सुच्चा सिंह का कहना है कि आप ने उन्हें बहुत गम्भीर दुःख पहुंचाया है। आप के नेता टिकट लेने के बदले पैसा ले रहे हैं तथा महिलाओं आदि का यौन शोषण तक कर रहे हैं।
आप के एक विधायक देवेंद्र सहरावत ने भी आप नेताओं संजय सिंह, देवेंद्र व दिलीप पांडे आदि बड़े नेताओं के चाल चरित्र और चिंतन पर गहरे सवालिया निशान लाग दिये हैं जिससे आप के अंदर की राजनीति में जबर्दस्त कलह, घमासान होना स्वाभाविक है। टिकट के बदले महिलाओं के साथ यौन शोषण के गंभीर आरोप आप के पूर्व नेता योगेंद्र यादव भी टीवी चैनलों की बहसों में लगा चुके हैं। लेकिन आप नेता बड़ी धूर्तता के साथ पूरे खेल के पीछे भाजपा और अकालियों की साजिश बताकर अपना पल्ला झाड़ने का प्रयास करते दिखायी पड़ रहे हैं।
पंजाब में ही आम आदमी पार्टी को दूसरा सबसे बड़ा झटका पूर्व सांसद नवजोत सिंह सिद्धू ने दिया है। सिद्धू को पहले भाजपा ने राज्यसभा का सांसद बनाकर उनको शांत करने का प्रयास किया था, लेकिन पता नहीं उनको किस ज्योतिषी ने बता दिया है कि वे पंजाब के मुख्यमंत्री बन सकते हैं, तब से उन्होंने सांसदी भी छोड़ दी और जब उन्हें किसी भी दल में सम्मानजनक स्थान नहीं मिला, तब जाकर उन्होंने स्वयं ही आवाम-ए-पंजाब नाम का एक नया मोर्चा बना लिया और सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है।
पंजाब की राजनीति के अंदर गहरी रूचि रखने वालों का मानना है कि सिद्धू इतना बड़ा फैसला अकेले नहीं कर सकते उनके पीछे कोई न कोई अदृश्य ताकत जरूर है जो उनका पर्दे के पीछे की राजनीति में साथ दे रही है। अब यह देखने वाली बात होगी कि पंजाब में सिद्धू का मोर्चा किस प्रकार की परफार्मेंस चुनावों में दिखाता है। कुछ का कहना है कि चुनाव परिणामों के बाद सिद्धू के विधायक अकाली-भाजपा गठबंधन या फिर कांग्रेस की ही मदद करेंगे। कुछ का कहना है कि वह यह सब केजरीवाल के कहने पर कर रहे हैं। लेकिन नवजोत की पत्नी का कहना है कि उनका मोर्चा अकेले ही गेमचेंजर साबित होने जा रहा है। पंजाब में आप की मुसीबत का पहाड़ सुच्चा सिंह और सिद्धू ही नहीं हैं अपितु उनकी ही पार्टी के चार सांसद भी उनके लिए गंभीर मुसीबतें पैदा कर रहे हैं।
आप सांसद भगवंत मान की संसद सदस्यता पर संकट के बादल पहले से ही सवालिया निशान लगा हुआ है वहीं दूसरी पंजाब में एक जनसभा के दौरान पत्रकारों के साथ बदसलूकी करने के कारण उनके खिलाफ मामला दर्ज हो चुका है। वहीं एक अन्य सांसद धर्मवीर भी एक नये मोर्च के साथ चुनाव मैदान में आ चुके हैं। पंजाब की चुनावी राजनीति में पहले दो धु्रव होते थे लेकिन इस बार केजरीवाल की दिलचस्पी और उसके बाद आप में उठी बगावत की लहर तथा आप नेताओं पर लग रहे संगीन आरोपों के कारण अब शिरोमणि अकाली दल-भाजपा गठबंधन और कांग्रेस के चेहरे पर थोड़ी सी मुस्कान अवश्य दिखलायी पड़ने लग गयी है। पंजाब में दलित वोटबैंक भी महती भूमिका अदा करते हैं लिहाजा बसपा व अन्य दलित राजनीति करने वाले दलों की भी भूमिका खास होने जा रही हैं।
आज दिल्ली में केजरीवाल के सामने जो सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं उसके पीछे पंजाब, गुजरात और गोवा के चुनाव तो हैं ही। मात्र डेढ़ वर्ष के कार्यकाल में ही केजरीवाल के छह में से तीन मंत्री बर्खास्त हो चुके हैं। 12 विधायकों पर केस चल रहे हैं तथा उनकी जेल यात्रा हो चुकी है। 21 विधायकों पर लाभ के पद के चलते सदस्यता खारिज होने संबंधी तलवार लटकी हुयी है सांसद भगवंत मान पर लोकसभा अध्यक्ष के पास फैसला लंबित है। अदालतांें में केजरीवाल सरकार के कई मामले लटके हुये हैं। यहीं नहीं अभी हाल ही में आरटीआई से एक खुलासा हुआ है कि मात्र डेढ़ वर्ष में ही कजरीवाल सरकार सिर्फ चाय-नाश्ते में ही डेढ़ करोड़ रूपया खर्च कर डाला है। जिसमें अकेले केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री सिसैादिया ने ही 58 लाख खर्च कर दिये हैं। महालेखा परीक्षक दिल्ली सरकार की विज्ञापन नीति पर सवालिया निशान खड़ा कर चुके हैं। आज दिल्ली की जनता वास्तव में परेशान हो चुकी है। दिल्ली की जनता को पुरानी सरकारों का कार्यकाल याद आने लगा है।
मुख्यमंत्री केजरीवाल ने महिला सुरक्षा सहित दिल्ली की जनता से जो वायदे किये थे वे सभी फ्लाप हो चुके हैं। अब तो महिलाओं में इस कदर भय व्याप्त हो गया है कि वे किसी भी मंत्री व विधायक के पास अगर गयीं तो सुरक्षित वापस आ भी पायेंगी कि नहीं। केजरीवाल और नजीब जंग के अधिकारों के बीच की लड़ाई के कारण सारा का सारा काम ठप हो गया है। लेकिन मिस्टर केजरीवाल अभी भी सारा दोष सिर्फ मोदी जी को ही दे रहे हैं तथा उनको अपमानित करने का कोई अवसर नहीं गवां रहे। पूर्व जस्टिस काटजू ने केजरीवाल को अच्छी सलाह दी है कि वह अब सारा ध्यान अपने काम पर लगायें और हर बात पर मोदी जी को अपमानित करना बंद करें। वैसे भी आज की तारीख में आम आदमी पार्टी का मतलब सेक्स, महिलाओं के साथ छेड़छाड़ और टिकट बेचने के आरोपों तक ही सीमित रह गया है। केजरीवाल को यदि अपनी राजनीति आगे बढ़ानी है तो संदीप कुमार, संजय सिंह और आशुतोष जैसे घृणित विचारों वाले नेताओं को दल से बाहर निकालना ही होगा। नहीं तो फिर उनके चाल, चरित्र और चिंतन का भगवान भी मालिक नहीं होगा।
— मृत्युंजय दीक्षित
अब तो आप ही आप का सहारा है । बढ़िया लेख ।