कविता

कचड़ा- पेटी….

उल्टी गंगा,
फीकी धरती,
कचड़ा-पेटी,
दिन भर ढ़ोती,
आसमान में बारिश होती,
उड़ गए कचड़े,
चिड़ियी सोती,
नाक ना जाने,
बदबू की बात,
कचड़ा –पेटी लाई सौगात,
मुँह काला हो बादल का,
पानी मिले ना सावन का,
पेड़ हरे हैं,
इक्के –दुक्के,
कहाँ… छिपते अब,
चोर – उच्क्के,
है लड़ाई मकानो की,
भर –भर झोली,
कचड़े की,
मुँह में राम बगल में छूरी,
कचड़ा कैसे फेकूँ,
बड़ी मजबूरी,
पेट दर्द है,
मन की सुस्ती,
उठा दे पटका,
कचड़े की कुश्ती,
मेरा कचड़ा देश महान,
कचड़ा फेंकूँ मैं इंसान,
बासी-बासी कचड़े की झोली,
महके है दूजे की बोली,
जमा किए है पुण्य हो जैसे,
हर-हर गंगे पाप है धोली,
राम –राम की बेला आई,
घर-घर कचड़ा करो विदाई,
फिक्र है कितनी कचड़े की बोलो,
सँभलकर जाना,
घिरे भले पड़ोसीखाना,
इसका कचड़ा – उसका कचड़ा,
मन का कचड़ा बढ़ता जाए,
स्वच्छ हो भारत सपना देखो,
अपना कचड़ा औरो पर फेंको,
साफ किए जा कचड़ा –पेटी,
खा-खाकर इतनी क्यो मोटी,
कचड़ा -पेटी रंग – रंग की,
मैं ना मानूँ रंग ना जात,
जिस मन आए,
उस मन फेकूँ,
कचड़ा-पेटी…(2),
दिनभर रंजिश ..,
वक्त कहाँ आराम जो करती,
आज का काम,
आज किए जा,
कल का कचड़ा,
आज दिए जा,
कल क्या होवे,
कौन है जानत,
भारी विपदा,
कचड़ा-पेटी….(2)

प्रशांत कुमार पार्थ

प्रशान्त कुमार पार्थ

प्रशांत कुमार पार्थ (कवि एवं सृजनात्मक लेखक ) पटना, बिहार Contact :- prshntkumar797@gmail 8873769096 नोट:- विभिन्न पत्रिकाओं एंव प्रकाशन में सम्मिलित की गई मेरी कविताएँ :- 1.अंतराष्टिय हिंदी साहित्य जाल पत्रिका 2. मरूतृण साहित्यक पत्रिका 3. अयन प्रकाशन 4. भारत दर्शन साहित्यिक पत्रिका 5. होप्स मैगजीन 6. सत्य दर्शन त्रैमासिक साहित्यिक पत्रिका 7. जनकृति अंतराष्टिय हिंदी पत्रिका