पिरामिड
नोट :- नेह/स्नेह/प्रेम/मुहब्बत/ आदि समानार्थी शब्द
ये
प्रेम
सनेह
मुहब्बत
नेहा की नेह
नेह की नेहा है
विभावरी स्नेहा है॥
है
यही
जिंदगी
संवारती
चाह चाहत
पावन प्रतीक है
प्रेम तो अजीब है॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
नोट :- नेह/स्नेह/प्रेम/मुहब्बत/ आदि समानार्थी शब्द
ये
प्रेम
सनेह
मुहब्बत
नेहा की नेह
नेह की नेहा है
विभावरी स्नेहा है॥
है
यही
जिंदगी
संवारती
चाह चाहत
पावन प्रतीक है
प्रेम तो अजीब है॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी