गज़ल
कहीं बातें, हुई होंगी, कहीं वादा हुआ होगा
निगाहों ही निगाहों में, कोई अपना हुआ होगा
मुहब्बत यूं नहीं चलती, बिना रफ़तार की आँधी
कहीं तो बह रही दरिया, किनारा भी हुआ होगा॥
मुकामे दौर को देखे, उमर नादान बन जाती
अभी तो इक गिला आई, तड़फ जाया हुआ होगा॥
बहारें ही पता देंगी, जरा उस बाग में जाओ
जहां कलियाँ खिली होगी, वहीं भौरा हुआ होगा॥
जमाने की नजर बचके, चली होगी ये पुरवाई
सितम खामोश है देखो, कयामत भी हुआ होगा॥
किसी ने चाह ना देखी, दिलों की बात दिल जाने
अरे गौतम नजर बदलो, निशाना भी हुआ होगा॥
मछलियाँ टांग दी जाती, निशाने तीर चल जाते
बहें जब आब आँखों से, बहाना भी हुआ होगा॥