कविता

परिवर्तन

सावन के आते ही कैसे
खिल उठता सारा समाँ
लहलहा उठती वसुंधरा
झूम उठता ये आसमाँ
सावन के जाते ही देखो
पतझड की हो शुरुआत
सूखने लगते तरुवर सारे
झर झर झरते पीले पात
जीवन का भी यही उसूल
सुख के संग दुख के शूल
अज्ञानी मानव जाता भूल
परिवर्तन प्रकृति का मूल
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शशि शर्मा ‘खुशी’

शशि शर्मा 'ख़ुशी'

नाम- शशि शर्मा 'खुशी'...जन्मतारीख - 6/6/1970 .... जन्म स्थान- सिलारपुर (हरियाणा) व्यवसाय - हाऊसवाईफ मूल निवास स्थान हनुमानगढ (राजस्थान) है | पतिदेव श्री अरूण शर्मा, की जॉब ट्रांसफरेबल है सो स्थान बदलता रहता है | पढने का बेहद शौक है,,,, अब लेखन भी शुरू कर दिया है | कुछ विविध पत्र-पत्रिकाओं में मेरी कवितायें प्रकाशित हो चुकी हैं |