वीरो को शत शत नमन
सोई है सरकार नींद में, क्यूँ कुछ नजर नहीं आता
क्यूँ भारत की सीमा पर आतंकी हमला हो जाता
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मरते वीर जवान हमारे, उन कुत्तों की गोली से
सेना अक्सर दब जाती है नेताओं की टोली से
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बातें करते बड़ी बड़ी पर निर्णय में देरी करते
जिसका हर्जाना अक्सर इस सेना के सैनिक भरते
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राजनीति के चूल्हे पर सब अपनी रोटी सेंक रहे
सत्ता के मद में पागल हो अपने पाशे फेंक रहे
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अरे तुम्हारा क्या जाता है तुम करते हो ऐश यहाँ
देखो वीर शहीदों का घर कैसा है परिवेश वहाँ
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कितने लुटे सुहाग वहाँ पर कितनी माओं की गोदी
चीख पुकार सुनी ऐसी ये धरती माता भी रो दी
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कितने बच्चों ने खोया है, आज पिता का भी साया
छप्पन इंची सीना क्यूँ फिर बोलो पिघल नही पाया
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दुश्मन नंगे नाच रहे हम नित नित हमले झेल रहें
सरहद पर फिर आज सिपाही खूनी होली खेल रहे
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बहुत हो गया आज हमें ये कदम उठाना ही होगा
उन पाकी गद्दारों को अब सबक सिखाना ही होगा
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एक जान के बदले में सौ सौ आतंकी मारेंगे
हर सैनिक है शेर हमारा कैसे उनसे हारेंगे
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पाक़ तुम्हारी नापाकी नियत को अब हम जान गए
नहीं सुधरने वाले हो तुम भारतवासी मान गये
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अबकी ऐसा वार करेंगे मिट्टी में मिल जाओगे
मानचित्र में पाकी नक्शा बिल्कुल ढूँढ न पाओगे
रमा प्रवीर वर्मा, नागपुर (महाराष्ट्र) २०-९-१६