उरी में शहीद हुए जवानों की भावना
विजय तिरंगा हाथ लिए, सब सैनिक भरते थे हुँकार
चहूं और से लगते नारे, और फिर होती जय जय कार
यही तिरंगा भर देता था, हम में जोश और शक्ति अपार
चिर निंद्रा में चले गये, उठ रही आत्मा में चीत्कार
काश हमें भी मौका मिलता,दुश्मन का करने संहार
ईंट से ईंट बजा देते हम,दुश्मन के घर दे ललकार
वक़्त अभी भी बाकी है,दुश्मन पर जल्द ही करे प्रहार
सम्मान हमारा तब ही होगा,दुश्मन में होगी हाहाकार
$पुरुषोत्तम जाजु$