मनोबल
हूँ मैं निर्बल
तन से लेकिन
मनोबल है
चट्टान सा
कोशिश कर ले
लाख कोई, न टूटेगा
ये कोई चीज नही
कांच का
न लग सकता कभी
इस पर
मायूसियों का जंग
है ये हिमालय सा
विशाल,अटल,अडिग
नही डिगा सकती
इसको कोई भी आंधी
दुश्वारियों की ।
-सुमन शर्मा