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लेख : आतंक का अड्डा बन चुका है पाकिस्तान

18 सितम्बर, 2016 रविवार की सुबह उड़ी सेक्टर में सेना के शिविर में हुए आतंकी हमले में हमारे 17 सैनिकों को मौके पर ही शहादत प्राप्त हो गई । 3 अन्य घायल सैनिकों के उपचार के दौरान  मृत्यु होने से शहादत का आंकड़ा 20 तक पहुँच गया है l घायल सैनिकों में से कई की हालत अभी भी नाज़ुक बनी हुई है l पाकिस्तान ने एक बार फिर अपनी कायरतापूर्ण और दोगली सोच का परिचय दिया है। इस देश की सरहदें कब तक बेबजह हमारे सैनिकों के रक्त से लाल होती रहेगीं ? प्रबल सैन्य क्षमताओं के बाबजूद भी पड़ोसी मुल्कों पाकिस्तान और चीन द्वारा बार-2 हमारी अस्मिता को चोट पहुंचाई जाती है और हम बातचीत व शांति का राग अलापते रहते हैं।

इसी साल के जनवरी माह में भी पाकिस्तान ने जब पठानकोट एयर बेस पर हमला किया था उस वक्त भी आश्वासनों और बयानबाजी का दौर चला था और आज भी वही हो रहा है, आखिर हम क्यों कथनी के बजाय करनी में विश्वास नहीं करते ? ऐसे किसी भी हमले के उपरांत टीआरपी  की रेस में हमारे टीवी चैनल पाकिस्तानी प्रतिनिधियों को चर्चा पर आमंत्रित करते हैं, और वहां ये पाकिस्तानी प्रतिनिधि सफ़ेद झूठ बोलकर पाकिस्तान के पेशावर में 16  दिसम्बर, 2014 को सेना के स्कूल में हुए तालिबानी आतंकी हमले को भारत की साजिश करार देकर अपने मानसिक दिवालियेपन का सबूत देते हैं l यह तो सर्वविदित ही है कि पकिस्तान द्वारा पैदा किया गए तालिबानी आतंकी  उस कंटीले तारों के बाड़ की तरह हैं जो कि अपने ही खेत को खा रही है l सिंध और बलूचिस्तान की हकीकत भी दुनिया में किसी से छुपी नहीं है l उड़ी आतंकी हमले पर भारत की कड़ी प्रतिक्रिया के उपरान्त पाकिस्तान के रक्षामंत्री की परमाणु हमला कर देने की हास्यास्पद गीदड़ भभकी, “अंधे के हाथ बटेर” लग जाने वाली कहावत की याद दिलाती है l इसे ठीक उसी तरह समझा जाना चाहिए कि अगर बन्दर के हाथ में माचिस आ जाये तो वह पुरे जंगल को जला कर राख कर देता  है l पाकिस्तान को यह कदापि नहीं भूलना चाहिए कि भारत के पास उससे कहीं ज्यादा परमाणु क्षमता और विकसित तकनीक है, मगर आज तक भारत ने कभी भी परमाणु हमले की बात नहीं कही है l

दुनिया में पाकिस्तान और कोरिया दो ही ऐसे मुल्क है जहाँ पर परमाणु हथियारों की कमान सैन्य अधिकारीयों के पास है, बाकी सभी देशों में यह राजनैतिक पदों पर आसीन व्यक्तियों के पास है l संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाओं को भी यह समझना चाहिए कि पाकिस्तान जैसे आंतक के सरगना मुल्क के पास परमाणु हथियार सुरक्षित नहीं है l जेहाद के नाम पर आंतकवाद को शय  देने वाले पाकिस्तान का सच्च आज पूरी दुनिया के सामने जगजाहिर हो चुका है ।

भारतीय सेना और आम जनमानस का मनोबल बनाये रखने हेतू सरकार को कडे. निर्णय लेने होगें। अब समय आ गया है कि युद्ध विराम का उलंघन कर नियंत्रण रेखा पर उपद्रव करने वाले और सरहदों के भीतर घुसपैठ कर आतंकी वारदातों को अंजाम देने वाले किसी भी उपद्रवी को वक्शा ना जाए और उन्हें मुंह तोड. जबाब दिया जाए। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी कूटनीति का इस्तेमाल कर पाकिस्तान को आंतकवादी देश घोषित करवाने के भरसक प्रयास किये जाने की आवश्यकता है l पकिस्तान के साथ भारत को सभी तरह के व्यापार बंद कर देने चाहिए और पकिस्तान में भारतीय दूतावास को रखने या न रखने के बारे में भी गंभीरता से सोचना होगा l

विश्वासघाती और दोगुली सोच वाले पाकिस्तान को सबक सिखाना नितांत आवश्यक है। भारत से 4 युद्ध हारने के पश्चात भी पाकिस्तान अपनी ओछी हरकतों से बाज नहीं आता। दरअसल पाकिस्तान एक ऐसा मुल्क है जो कभी भी हिंदोस्तान का सगा नहीं हो सकता। जेहाद के नाम पर लोगों को बर्गला कर आंतकी प्रशिक्षण देकर पाकिस्तान निरंतर कश्मीर में घुसपैठ कर आंतक फैला रहा है। जुलाई के बाद लगातार लगभग तीन महीने से कश्मीर में हालात समान्य नहीं है, इसके पीछे अलगाववादियों के सिर पर पकिस्तान का हाथ होना एक बड़ा कारण है l जेहाद और मजहब के नाम पर लोगों को उकसाने वाले इन तथाकथित रहनुमाओं को कब समझ आएगा कि इन्सानियत और राष्ट्रधर्म  से बढ.कर कोई मजहब नहीं होता। अब वक्त आ गया है कि कश्मीर  की स्थानीय जनता को भी अपनी अंर्तआत्मा की आवाज को सुनते हुए पाक परस्ती की पट्टी को निकाल फैंकना चाहिए।

भारतीय सेना इस तरह की परिस्थितियों से निपटने में पूर्णतः सक्षम है। बस जरूरत है तो सरकार द्धारा कुछ कडे. और सख्त निर्णय लेने की, ताकि पकिस्तान बार-2 इस तरह की घटनाओं को अंजाम न दे सके।

अब बक्त आ गया है कि पकिस्तान को उसी भाषा में जवाब दिया जाना चाहिए, जिस भाषा को वह समझता है l भारत तकनीक और सैन्य दृष्टिकोण से पूर्ण रूप से सक्षम है और हमारी क्षमताओं को बार -2 चुनौती देने का दुसाहस नहीं किया जाना चाहिए l भारतीय संस्कृति “बसुधैब कुटुम्बकम” का अनुसरण करती है मगर इसका ये अर्थ कदापि नहीं निकाला जाना चाहिए कि ये हमारी कमजोरी है l

-मनोज चौहान 

मनोज चौहान

जन्म तिथि : 01 सितम्बर, 1979, कागजों में - 01 मई,1979 जन्म स्थान : हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला के अंतर्गत गाँव महादेव (सुंदर नगर) में किसान परिवार में जन्म l शिक्षा : बी.ए., डिप्लोमा (इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग), पीजीडीएम इन इंडस्ट्रियल सेफ्टी l सम्प्रति : एसजेवीएन लिमिटेड, शिमला (भारत सरकार एवं हिमाचल प्रदेश सरकार का संयुक्त उपक्रम) में उप प्रबंधक के पद पर कार्यरत l लेखन की शुरुआत : 20 मार्च, 2001 से (दैनिक भास्कर में प्रथम लेख प्रकाशित) l प्रकाशन: शब्द संयोजन(नेपाली पत्रिका), समकालीन भारतीय साहित्य, वागर्थ, मधुमती, आकंठ, बया, अट्टहास (हास्य- व्यंग्य पत्रिका), विपाशा, हिमप्रस्थ, गिरिराज, हिमभारती, शुभ तारिका, सुसंभाव्य, शैल- सूत्र, साहित्य गुंजन, सरोपमा, स्वाधीनता सन्देश, मृग मरीचिका, परिंदे, शब्द -मंच सहित कई प्रादेशिक एवं राष्ट्रीय पत्र - पत्रिकाओं और समाचार पत्रों में कविता, लघुकथा, फीचर, आलेख, व्यंग्य आदि प्रकाशित l प्रकाशित पुस्तकें : 1) ‘पत्थर तोड़ती औरत’ - कविता संग्रह (सितम्बर, 2017) - अंतिका प्रकाशन, गाजियाबाद(ऊ.प्र.) l 2) लगभग दस साँझा संकलनों में कविता, लघुकथा, व्यंग्य आदि प्रकाशित l प्रसारण : आकाशवाणी, शिमला (हि.प्र.) से कविताएं प्रसारित l स्थायी पता : गाँव व पत्रालय – महादेव, तहसील - सुन्दर नगर, जिला - मंडी ( हिमाचल प्रदेश ), पिन - 175018 वर्तमान पता : सेट नंबर - 20, ब्लॉक नंबर- 4, एसजेवीएन कॉलोनी दत्तनगर, पोस्ट ऑफिस- दत्तनगर, तहसील - रामपुर बुशहर, जिला – शिमला (हिमाचल प्रदेश)-172001 मोबाइल – 9418036526, 9857616326 ई - मेल : [email protected] ब्लॉग : manojchauhan79.blogspot.com