कविता

विश्व शांति दिवस, अहिंसा दिवस है आज

विश्व शांति दिवस, अहिंसा दिवस है आज।

दिल्ली में फिर कैंची से गोद कर

एक मासूम युवती की हत्या

राजस्‍थान में लाल गाड़ी वाले से फिर

हिट एंड रन की एक घटना लेकिन

केस दर्ज हुआ एक्सीडेंट का

पाक सीमा पर कल रात फिर

पाक की ओर से कवर फायर के बाद

आतंकवादी घुसपैठ जिस पर

हमारे जाँबाज़ सैनिकों ने

10 आतंकवादी मार गिराये

क्याे, क्‍या हमें ऐसा नहीं करना चाहिए था और

हम करते रहते सिर्फ अहिंसा और

शांति की बात क्योंकि

विश्व शांति दिवस और अहिंसा दिवस है आज।

जर्मनी ने कहा है

पाक में चल रहे आतंकवादी कैंपों को

ध्वस्त करने का

भारत को पूरा अधिकार है

देखिए चश्मदीद घटना

भारत में हुए इस नापाक हमले पर

पाक का संवेदनाशून्य रवैया

अमेरिका पहुँच गये

बनके कितने शरीफ और

गाया फिर काश्मीरी आलाप

फ्रांस, रूस, जर्मनी और जापान

आए भारत के समर्थन में

अरे भाई हमारे इतिहास कहता है

पहले मारे सो मीर , फिर भी

अगर भारत रणनीति ही बनाता रहे और

अमल ना करे, वह भी इसलिए कि

विश्व शांति दिवस, अहिंसा दिवस है आज।

आज फिर मौका है कश्मीर को

अपना बनाने का

दूर तक आतंकवादियों को

खदेड़ने का

1947 में कबाइलियों का

आतंक बढ़ा था और

कश्मीर को तब सरदार पटेल की

हुंकार ने बचा लिया था

आज जैश का जोश ठंडा करने के लिए

क्या मोदी की हुंकार सुनाई देगी

सरदार पटेल भी गुजराती थे

मोदी भी गुजराती हैं

लोहा गर्म है, क्या

चोट की जाएगी या

हमारा जोश फिर ठंडा पड़ जाएगा

गांधी के अहिंसा के

नारों के सम्मान में क्योंकि

विश्व शांति दिवस, अहिंसा दिवस है आज।

भारत के ही मच्छंर जब

अहिंसा की बात नहीं करते

चिकनगुनिया और डेंगू से

लोगों को मार रहे हैं

सीमा पर मुट्ठी भर मच्छरों से

हमारे सैनिक मर रहे हैं

हमारी सरकारी व संवैधानिक व्यवस्थाओं का

सबसे ज्यादा असर शहरों ही नहीं

पूरे देश की सफाई व्यवस्था पर पड़ा है

सफाई होनी चाहिए,

देश के भीतर भी और देश के बाहर भी

देश में सैंकड़ों आतंकी मच्छरों, दुष्कार्मियों, लुटेरों,

भ्रष्टाचारियों के रूप में आक्रमण कर

देश को कमजोर कर रहे हैं और

सीमा पर सीमापार के मच्छर और

कुत्सित विचारधारा के लोग

सीमा पर हमारी सेना के धैर्य की

परीक्षा ले कर हमें झकझोर रहे हैं

दोनों ही स्थिति में हमें चाहिए

सरकारी आदेश पर कब,

कब तक इंतजार करते रहें इसलिए कि

विश्व शांति दिवस, अहिंसा दिवस है आज।

अब करो या मरो के रूप में

भारत में भी जेहाद का

फरमान जारी होना चाहिए

कश्मीरियों को यदि

लगता है कि वे पाकिस्तान में

ज्यादा सुखी रहेंगे तो

सर्वे करवा लो

उन्‍हें कश्मीर भेज देना चाहिए

या उन्‍हें भारत चाहिए तो

कश्मीर को अपना कह कर

कश्मीर को अपनाओ

पाकिस्‍तान से ज्‍यादा

मुसलमान भारत में

ज्‍यादा सुरक्षित हैं

सर्वे करवा लो।

यूँ अकाल मौत से अच्छा है

हम रण में रणबाँकों की तरह मरें

आज कसम खायें कि

विश्व में शांति और अहिंसा के लिए

कदम उठाएँगे और अगले साल

विश्व शांति दिवस, अहिंसा दिवस मनाएँगें।

डॉ. गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल'

डॉ. गोपाल कृष्ण भट्ट ‘आकुल’ जन्म तिथिः18 जून 1955, महापुरा, जयपुर, राजस्थान. शिक्षाः एम0काॅम, डी0टी0पी0 (कम्प्यूटर) साहित्यिक यात्राः 1975 से आज तक विभिन्न प्रमुख पत्र पत्रिकाओं में लेख, कवितायें, कहानी, लघुकथायें, गीत, नवगीत, नाटक आदि प्रकाशित एवं कई संकलनों में प्रकाशन। 1993 से 2008 तक लगभग 6000 वर्ग पहेलियाँ अमर उजाला व अन्य प्रमुख समाचार पत्रों में प्रकाशित. प्रकाशित कृतियाँः 1. प्रतिज्ञा (1995)- (1995)- महाभारतीय पृष्ठभूमि पर महानायक ‘कर्ण’ पर आधारित नाटक, 2. पत्थरों का शहर पत्थरों का शहर पत्थरों का शहर (2008)- (2008)- हिन्दी गीत ग़जल और नज़्में, 3. जीवन की गूँज (2010)- (2010)- काव्य संग्रह 4. अब रामराज्य आएगा!! (2013)-लघुकथा संग्रह, 5. नवभारत का स्वप्न सजाएँ (2016) गीत संग्रह 6. जब से मन की नाव चली (2016)- नवगीत संग्रह। प्रमुख संकलनः(कुल 10) 1. श्री मुकेश नादान सम्पादित ‘साहित्यकार-5’ (काव्य संग्रह) में 5 साहित्यकारों में सम्मिलित 2. त्रिलोक सिंह ठकुरैला सम्पादित ‘कुण्डलिया कानन (कुण्डलिया छंद संग्रह). सम्पादनः 13 पुस्तकों का सम्पादन. सम्मान/सम्मानोपाधिः पं0 बृजबहादुर पाण्डेय स्मृति सम्मान (बहराइच), शब्द श्री (उज्जैन), काव्य केसरी, विवेकानन्द सम्मान (कोलकाता), कविगुरु रवीन्द्रनाथ ठाकुर सारस्वत साहित्य सम्मान (कोलकाता), साहित्य श्री, ‘साहित्य मार्तण्ड, साहित्य कला रत्न, साहित्य शिरोमणि, भारतीय भाषा रत्न (भागलपुर) , साहित्य मनीषी, कलम कलाधर, शब्द भूषण (उज्जैन), हिन्‍दी साहित्‍य भूषण (साहित्य मंडल, नाथद्वारा), सामाजिक संस्‍था 'तैलंगकुलम्', जयपुर द्वारा प्रेमचन्द्र गोस्वामी स्मृति सम्मान (जयपुर) और अखिल हिन्‍दी साहित्‍य सभा (अहिसास), नाशिक द्वारा विद्योत्‍तमा साहित्‍य सम्‍मान, 2016. अधिकृत उपाधिः विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, भागलपुर (बिहार) से विद्या वाचस्पति. सम्प्रतिः राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय, कोटा से अनुभाग अधिकारी के पद से 30 जून, 2015 को सेवानिवृत्त, स्वतंत्र साहित्य यात्रा में संलग्न. वर्तमान में नवम्बर 2010 से ई-पत्रिका ‘अभिव्यक्ति’ (http://abhivyakti-hindi.org) एवं अक्टूबर 2015 से राजस्थान पत्रिका के सांध्य दैनिक (जयपुर) ‘न्यूज टुडे’ में हिन्दी वर्गपहेली निरन्तर प्रकाशित. स्थाई निवासः ‘सान्निध्य’, 817, महावीर नगर-2, कोटा (राजस्थान)-324005, भारत. ईमेलः [email protected] ; [email protected] ब्लाॅगः http://saannidhya.blogspot.com दूरभाष/मोबाइल: 0744-2424818/09462182817