अमिताभ के खत के मायने
आज जब देश इक्कीसवीं शताब्दी की तरफ बढ रहा है, हम निरंतर अपने विकास और विचारों को लेकर अपनी पीठ थपथपा रहे है, हर घर , दफ्तरों से संसद तक नारी स्वतंत्रता और नारी सशक्तिकरण का मुद्दा जितना अहम है उतना ही फैशन बन गया है , ऐसे में सवाल जस का तस बना है आखिर नारी को हम कितनी स्वतंत्रता दे पाए है या सिर्फ हम नारी सशक्तिकरण का प्रचार प्रसार ढोल नगाड़ा ले कर रहे है और हर बार की तरह इस बार भी क्या हम खुद को औरो से अलग दिखाने या खुद को बुद्धिजीवि बताने हेतु नारी का इस्तेमाल तो नही कर रहे है ? जैसा इस्तेमाल हम पीढियों से नारी को देवी बता कर करते रहे है ।
सवाल दीगर है कि आखिर अमिताभ जैसी शख्सियत को एक आम इंसान की तरह पत्र क्यूँ लिखना पड़ा ? या यूँ कहे कि आखिर उन्होने अपनी नातिन और पौत्री को पत्र लिखना क्यूँ जरूरी समझा और इससे भी जरूरी कि आखिर उन्होने इस पत्र को क्यूँ सार्वजनिक किया ? ऐसे में विचार करना जरूरी है कि आखिर अमिताभ के खत के मायने क्या है ?
पिछले वर्ष से ही अमिताभ की नातिन नव्या जो लंदन में अध्ययनरत है भारतीय समाचार पत्र , समाचार चैनलों और सोशल मीडिया पर शाहरूख खान के पुत्र आर्यन से रिश्तों और उनका एक नीजि वीडियो वायरल होने के कारण सुर्खियों में रहीं हैं, गत दिनों एक और समाचार सुर्खियों में रहा कि नव्या ने अमुख स्थान पर बिकनी पहनकर डांस किया और सोशल साइट्स पर उसके वीडियो अपलोड किया ,और एक बार फिर यह मुद्दा कई दिनों तक समाचार चैनलों , समाचार पत्रों और सोशल साइट्स पर छाया रहा या कहने में अतिशयोक्ति नही कि यह राष्ट्रीय मुद्दा बन गया , ऐसे में यह हमारी सोच , हमारी विकृत मानसिकता और नारी सशक्तिकरण और नारी स्वतंत्रता के हमारे दावे की कलई खोलता है , कहते है कि इंसान का अच्छा होना और अच्छा दिखना दो अलग अलग बातें है ठीक वैसे जैसा बड़े बड़े मंचों से नारी स्वतंत्रता और सशक्तिकरण की बाते करना और सचमुच नारी को सशक्त करने की मानसिकता रखना ,
अमिताभ न सिर्फ सदी के महानायक है और अभिनय के क्षेत्र में उन्होनें नये आयाम गढे है अपितु एक व्यक्ति और इंसान के रूप में भी उनका व्यक्तित्व देश के लिए एक मिशाल और अनुकरणीय रहा है और यह खासियत उनको अपने विरासत से मिली है और उन्होने अपनी विरासत को बख़ूबी संभाला है और बहुत सालीनता से आत्मसात किया है तथा जीया भी है किन्तु नव्या उनके परिवार की तीसरी पीढी है जिनका आगमन एक सेलिब्रिटी परिवार में हुआ है, उनका पालन पोषण और शिक्षा लंदन में चल रहा है अतः जाहिर है उनका मानसिक विस्तार लंदन में साथ पढ़ रहे सहपाठियों जैसा ही होगा , लंदन जैसी जगह पर जहाँ बिकनी पहनना बहुत साधारण सी बात है , और फिर लंदन ही क्यूँ हमारे देश में भी लड़कियाँ बिकनी पहन रही है , आज सिनेमा से लेकर घर घर टेलीविजन पर दिखाये जाना वाले कुछ उत्पादों के प्रचार में भी लड़कियाँ बिकनी पहनी दिखाई पड़ती है और कुछ भी अटपटा नही लगता, बिकनी स्वीमिंग करते समय पहना जाने वाला एक ड्रेस मात्र है इसे हम समाचार का विषय कैसे बना सकते है ? वो भी सिर्फ इसलिए की नव्या का ताल्लुक एक बड़े नामचीन परिवार से है , बेहद निंदनीय और हास्यास्पद है ।
अब सवाल उठता है कि इन सबके बीच अमिताभ ने नव्या और अराध्या के नाम यह खत क्यूँ लिखा और फिर इसे सार्वजनिक क्यूँ किया , अगर दूसरे नजरिए से देखे तो अमिताभ ने यह खत समाज के सांस्कृतिक ठेकेदारों और आमजन के बीच एक सकारात्मक संदेश देने हेतु लिखा है तथा देश को अपने विचारों से अवगत कराने की कोशिश की है , अमिताभ का लिखा एक एक शब्द संवाद करता है, एक संदेश देता है, जब वो लिखते है ” आप दोनों को नाम शोहरत पहचान सब कुछ मिला है , लेकिन इन सब से इतर तुम एक लड़की हो, एक महिला हो , संदेश बिल्कुल सीधा है वो हर महिलाओं को अपना नाम अपनी पहचान बनाने को प्रेरित करते है क्योकि आज भी हमारे समाज की जो संरचना है उसमें महिलाएं अपने पिता , पति और पुत्र के नाम से ही जानी जाती है , वो आगे लिखते है कि चुकि तुम महिला हो लोग तुम पर अपने विचार थोपेंगे, वो बतायेंगे की तुम्हे क्या पहनना है , किससे मिलना है , कहां जाना है , कहाँ नही जाना , ऐसे में तुम्हे किसी के विचार के दबाव में नही आना अपितु तुम आजादी और स्वविवेक से ये निर्णय करो , वो इतने पर ही नही रूकते वो लिखते कोई तुम्हे यह समझाने की कोशिश न करे की तुम्हारे स्कर्ट की लम्बाई तुम्हारे चरित्र का मानक है , बहुत स्पष्ट है कि अमिताभ सम्पूर्ण नारी समाज को स्वावलंबन की प्रेरणा देते है, वही समाज के ठेकेदारों को सही नसीहत भी कि महिलाए उनके विचारों की गुलाम नहीं है , न ही उन्हे अपने विचार किसी महिला पर थोपने का अधिकार है । वो आगे लिखते है किसी से भी अकारण विवाह मत करो जब तक तुम स्वयं ऐसा करना चाहो, लोग बहुत सारी बाते कहेंगे लेकिन जरूरी नही की तुम हर किसी की बात सुनो कभी मत सोचो की लोग क्या कहेंगे क्यूँकि अंतोगत्वा तुम्हे ही अपने लिए निर्णय के फल भुगतने होंगे , इसलिए तुम अपने जीवन का निर्णय किसी दूसरे को करने की इजाजत हर्गिज मत दो , ये सारी बाते उन्होने भले अपनी नातिन और पोती हेतु लिखा है लेकिन यह महिला के स्वतंत्रता और सशक्तिकरण के भाव से लबरेज महिलाओं और समाज को दिया गया एक सशक्त संदेश है , वो आगे लिखते है तुम एक महिला हो इसलिए तुम्हारा सर नेम भी तुम्हारी मुश्किलों को कम नही कर पाएगा , अराध्या जब तुम इस पत्र को देखोगी और समझोगी तब शायद मैं न रहूँ लेकिन आज मैं जो कुछ भी लिख रहा हूँ वो तब भी प्रासंगिक होगा , वो लिखते है कि यह संसार महिलाओं के जीने के लिए बहुत मुश्किलों से भरा है लेकिन मुझे उम्मीद है तुम्हारे जैसी महिलाएं बदलाव जरूर लाएंगी, बहुत स्पष्टता से वो महिलाओं की तरफ इशारा करते है तथा महिलाओं को स्वयं इससे लोहा लेने और लड़कर बिना हारे आगे बढने को प्रेरित करते है और आज की तरह अराध्या के किशोर अवस्था प्राप्त करने तक भी इन शब्दों का प्रासंगिक होना हमारे समाज को आईना दिखाना है तथा दूसरी तरफ महिलाओं के सुरक्षा पर भी सवालिया निशान लगाता है , वो आखिरी में लिखते है तुम समाज के लिए एक उदाहरण बन सकती हो और परिवर्तन ला सकती हो और यह कर के तुम समाज के लिए इतना कुछ कर सकती हो जितना मैने अपने संपूर्ण जीवन में नही किया , मुझे गर्व होगा अगर मैं अमिताभ बच्चन के बदले तुम्हारा दादा , नाना के रूप में जाना जाऊँ । नारी स्वतंत्रता और सशक्तिकरण पर अपनी भावना की इससे बेहतर अभिव्यक्ति नही हो सकती , अमिताभ की अभिनय की चर्चा तो युगो युगो तक तो होगी ही अमिताभ का यह पत्र भी युगो युगो तक समाज को आईना दिखता रहेगा और समाज मार्गदर्शन भी करता रहेगा ।
अमित कु अम्बष्ट ” आमिली “