दोहे
दोहे:-
1
करते मंगल कामना, बंद किये निज नेत्र।
मन में पर ,थमता नहीं, पल भर भी कुरुक्षेत्र।।
2
लहू भरी बहने लगी, उजली धवल चिनाब।
सहते क्यों चुपचाप तुम, माँगे वक्त जवाब।।
3
केसर क्यारी से उठी, फिर बारूदी गंध।
कुचलो अब नापाक को, तोड़ सभी अनुबंध।।
4
धूँ-धूँ कर सपने जले, घाटी है बदरंग।
धूल चटा बदजात को, अब निपटा दो जंग।।
अनिता मण्डा