नजर आ रहा गया धाम में, समूचा हिन्दुस्तान !
अभिनन्दन और वंदन है बार-बार
कब से स्वागत को हम हैं तैयार
जहाँ विष्णु का चरण है यथावत
हम करते हैं आपका स्वागत !
पितरों को रहती है कामना
कष्ट से पड़े न कभी सामना
गया धाम में है यह शक्ति
यहाँ पितरों को मिलती है मुक्ति !
कण-कण में ईश्वर का वास
कामना लिए पितर करते प्रवास
मुक्ति की रहती है इच्छा
पितर करते यहाँ पर प्रतीक्षा !
पितर का होता है यह अरमान
गयाधाम में पुत्र करे पिंडदान
फल्गु के जल से तर्पण
पुत्र ! करते पितर को समर्पण !
चाहे प्रगति करे लाख इंसान
विश्वास जमाये क्यों न विज्ञान
कम नहीं हो रहा रूझान
सदियों से कायम है पिंडदान !
अलग-अलग वेश, यहाँ अलग-अलग भूषा
अलग-अलग चाल, यहाँ अलग-अलग ढाल
यहाँ विविध संस्कृति है, विविध है विधान
नजर आ रहा गया धाम में, समूचा हिन्दुस्तान !
दुखों से मिलता है त्राण
गया जी है तीर्थों का प्राण
इस भू की महिमा अपार
है वंदन बार-बार, अभिनन्दन बार-बार !