अन्य लेख

बद से बद्तर होती जा रही है देश की डाक व्यवस्था

बद से बद्तर होती जा रही है देश की डाक व्यवस्था
………………………………………………………………
आज बरबस बचपन में सुना एक गीत , जिसे किशोर दा जैसे फनकार ने गाया था और गुलजार साहब ने शब्द दिए थे , हृदय को व्याकुल कर रहा है , वो गीत था ” डाकिया डाक लाया 2 , खुशी का पयाम कहीं दर्दनाक लाया ” और ऐसे ना जाने और भी कितने गीत डाकिए पर लिखे गए और गए , कारण सिर्फ एक था डाक व्यवस्था हमारे जीवन का अभिन्न अंग हुआ करता था ।
अगर भारत मेंं डाक व्यवस्था की स्थापना की बात करे तो 1 अप्रैल, 1854 , में अंग्रेजों के द्वारा जब इसकी स्थापना हुई तो कोई नही जानता था कि यह देश का सबसे बड़ा नेटवर्क हो जाएगा , किंतु यह संभव हुआ और आजादी के बाद तत्कालीन सरकार ने इसे आम आदमी से जोड़ने की पहल की और यह धीरे धीरे अपने संदेशवाहक का कार्य तो करती ही रही लेकिन बचत बैक , टेलिग्राम जैसे कई योजनाओं ने इसे देश की महत्वपूर्ण जरूरत में तब्दील कर दिया और कई दशको तक यह बहुत बेहतर तरीके से यह अपना सेवा देती रही ।
किंतु डाक व्यवस्था को सबसे बड़ा झटका तब लगा जब देश में कई सारे प्राईवेट कोरियर सर्विस आ गये और उन्होने संदेश या समान पहुचाने के अपने समय सीमा को कम कर दिया ,तब देश के अधिकतर नीजि और सरकारी दोनों दफ्तरों ने डाक को छोड़कर कोरियर सर्विस का रूख कर लिया ।
डाक व्यवस्था की अस्तित्व पर तब और भी प्रश्न चिन्ह लगने लगा जब देश में मोबाइल की क्रांति आई , मोबाइल के धीरे धीरे कम मूल्य पर उपलब्धता ने तो जैसे टेलिग्राम जैसी व्यवस्था का अस्तित्व ही खत्म कर दिया जिसका हस्र ये हुआ कि 15 जुलाई 2013 को इस सेवा को सदा के लिए बंद करना पड़ा ।
लेकिन फिर भी आज की तारीख में देखे तो एक आंकड़े के मुताबिक तकरीबन पाँच लाख के करीब है और आज भी डाक द्वारा चलाए गए की योजनाएं का लाभ आम जनता को मिल रहा है।
लेकिन कहने में अतिश्योक्ति नही होगी की आज डाक विभाग उदासीनता के हालत से गुजर रहा है । डाक द्वारा भेजे जाने वाले पत्र , पत्रिका या स्पीड पोस्ट का भी समय पर न मिलना या कई बार तो प्राप्त ही नही होना बहुत आम बात हो गई है और सबसे दुखद कि देश की जनता का भरोसा देश के सबसे बड़े नेटवर्क से खत्म होने लगा है ।
गत दिनों हावड़ा डिविजन के शक्ति गढ ( वेस्ट बंगाल) स्टेशन की एक घटना ने न सिर्फ डाक विभाग की कलई खोल कर रख दी है अपितु आम नागरिक और सरकार को भी सकते में डाल दिया है,
शक्तिगढ स्टेशन पर डाक विभाग के लापरवाही का यह आलम सामने आया है कि आधार कार्ड से भरे तकरीबन 42 बोरे, आम नागरिको की सुचना पर आर पी एफ ने बरामद किए है जो रेल्वे लाईन पर फेक दिए गए थे , कहते है कि ये आधार कार्ड बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में वितरण हेतु जाने थे और कोलकता से बाघ एक्सप्रेस से भेजे जा रहे थे , सबसे आश्चर्यजनक और दुखद यह कि आज के तारीख में जब आधार कार्ड हर नागरिक का अधिकार और महत्वपूर्ण नीजि दस्तावेज के रूप में सामने आई है और अगर सीधे शब्दों में कहूँ तो आज आधार कार्ड के बिना सरकारी किसी भी योजनाओं का लाभ मिलना बाधित हो सकता है ऐसी हालत में ऐसे महत्वपूर्ण दस्तावेज से डाक विभाग कैसे खिलवाड़ कर सकता है , डाक विभाग के कारनामे का यह अकेला उदाहरण नही हैं , डाक विभाग के ऐसे रवैये का ऐसे अनेक उदाहरण प्रस्तुत किए जा सकते है ।
आज डाक विभाग की व्यवस्था बद से बद्तर होती जा रही है , ऐसे हालत में कई प्रश्न सामने खड़े होते हैं , क्या डाक विभाग अपनी अस्तित्व खो चुका है ? क्या इस व्यवस्था को बिल्कुल बंद कर देना चाहिए? ऐसे रवैये का क्या कारण है ? और क्या डाक विभाग की व्यवस्था पुनः दुरूस्त की जा सकती है ?
इन सब सवालों का उत्तर तो चयनित सरकार को ही देना क्योकि जैसे वर्तमान सरकार ने डाक के द्वारा गंगा जल वितरण , लेटर बाक्स को साफ्टवेयर से जोड़ना, उपभोक्ता को एस एम एस के माध्यम से सूचना देना, तथा ऐसी और भी कई योजनाए आकर्षक तो है लेकिन इसे सभी डाक घरो में सुचारू रूप से लागु करने की जरूरत है तथा और भी ऐसी कुछ योजनाओं की आवश्यकता है जिससे देश के इतने बड़े नेटवर्क का समुचित इस्तेमाल हो और आम नागरिक पुनः इससे जुड़ सके और लाभांवित हो पाए ।
किंतु पुनः फिर वही सवाल उठता है कि अगर डाक विभाग एक पत्र पहुचाने जैसे साधारण कार्य का कार्यान्वयन ठीक से नही कर पाए रहा रहे तो क्या इतनी बड़ी बड़ी जिम्मेदारी क्या डाक विभाग को सौंपी जानी चाहिए ? और अगर सौप भी दी गई तो क्या ऐसी उदासीनता के साथ क्या डाक विभाग दिए गए कार्य को निभा पाएगा ।
अतः सबसे पहले जरूरत है अनुशासन की और हर कार्य की समय सीमा निर्धारण की , तभी डाक विभाग देश के नीजि संस्थानो और बैंकों के एक विकल्प के रूप में उभर सकता है अन्यथा ऐसे विभाग आज न कल सरकार द्वारा खत्म कर दिए या सिमट जाए तो कोई आश्चर्य नही होगा ।

अमित कु अम्बष्ट “आमिली “

अमित कुमार अम्बष्ट 'आमिली'

नाम :- अमित कुमार अम्बष्ट “आमिली” योग्यता – बी.एस. सी. (ऑनर्स) , एम . बी. ए. (सेल्स एंड मार्केटिंग) जन्म स्थान – हाजीपुर ( वैशाली ) , बिहार सम्प्रति- स्वतंत्र लेखन विभिन्न समाचार पत्र और पत्रिकाओं में निरंतर आलेख और कविताएँ प्रकाशित पत्रिका :- समाज कल्याण ( महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की मासिक पत्रिका), अट्टहास, वणिक टाईम्स, प्रणाम पर्यटन, सरस्वती सुमन, सिटीजन एक्सप्रेस, ककसाड पत्रिका , साहित्य कलश , मरूतृण साहित्यिक पत्रिका , मुक्तांकुर साहित्यिक पत्रिका, राष्ट्र किंकर पत्रिका, लोकतंत्र की बुनियाद , समर सलील , संज्ञान साहित्यिक पत्रिका,जय विजय मासिक बेव पत्रिका इत्यादि समाचार पत्र: - प्रभात खबर, आज , दैनिक जागरण, दैनिक सवेरा ( जलंधर), अजित समाचार ( जलंधर ) यशोभूमि ( मुम्बई) ,उत्तम हिंदु ( दिल्ली) , सलाम दुनिया ( कोलकाता ) , सन्मार्ग ( कोलकाता ) , समज्ञा ( कोलकाता ) , जनपथ समाचार ( सिल्लीगुडी), उत्तरांचलदीप ( देहरादून) वर्तमान अंकुर ( नोएडा) , ट्रू टाइम्स दैनिक ( दिल्ली ) ,राष्ट्र किंकर साप्ताहिक ( दिल्ली ) , हमारा पूर्वांचल साप्ताहिक ( दिल्ली) , शिखर विजय साप्ताहिक , ( सीकर , राजस्थान ), अदभुत इंडिया ( दिल्ली ), हमारा मेट्रो ( दिल्ली ), सौरभ दर्शन पाक्षिक ( भीलवाड़ा, राजस्थान) , लोक जंग दैनिक ( भोपाल ) , नव प्रदेश ( भोपाल ) , पब्लिक ईमोशन ( ) अनुगामिनी ( हाजीपुर, बिहार ), लिक्ष्वी की धरती ( हाजीपुर, बिहार ), नियुक्ति साप्ताहिक ( रांची / वैशाली , बिहार) इत्यादि प्रकाशित कृति :- 1 . खुशियों का ठोंगा ( काव्य संग्रह ) उदंतमरुतृण प्रकाशन , कोलकाता साझा काव्य संग्रह ............................... 1. शब्द गंगा (साझा ), के.बी.एस प्रकाशन , दिल्ली 2. 100 कदम (साझा ) , हिन्द युग्म , दिल्ली 3. काव्यांकुर 4 ( साझा ) शब्दांकुर प्रकाशन, दिल्ली 4. भाव क्षितिज ( साझा ) वातायन प्रकाशन, पटना 5.सहोदरी सोपान 3 ( साझा) , भाषा सहोदरी संस्था , दिल्ली 6 रजनीगंधा ( पता :- PACIFIC PARADISE FLAT NO - 3 A 219 BANIPARA BORAL KOLKATA 700154 MOB - 9831199413