कविता

“दोहा”

देश प्रदेश विदेश में, जाकर आओ घूम

स्वच्छ नीति भाषा लिए, वाह वाह कर बूम॥-1

 

माँ भारती धरें जहाँ, निश्चली आपन पक्ष

दुनियाँ के सरताज भी, सुनते खोल के अक्ष॥-2

 

दिखी दशा है पाक की, हिलते जिसके बैन

चेहरे चढ़ी हवाइयाँ, झुके हुये थे नैन॥-3

 

झूठ पुलिंदा बांधकर, बन बैठा बादशाह

बना पड़ोसी छद्म से, भाई था गुमराह॥-4

 

पानी पानी हो रहा, पीकर पानी धार

सतलज सिंधु अमृत कलश, बंद करो अब रार॥-5

 

महातम मिश्र। गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ