“दोहा”
देश प्रदेश विदेश में, जाकर आओ घूम
स्वच्छ नीति भाषा लिए, वाह वाह कर बूम॥-1
माँ भारती धरें जहाँ, निश्चली आपन पक्ष
दुनियाँ के सरताज भी, सुनते खोल के अक्ष॥-2
दिखी दशा है पाक की, हिलते जिसके बैन
चेहरे चढ़ी हवाइयाँ, झुके हुये थे नैन॥-3
झूठ पुलिंदा बांधकर, बन बैठा बादशाह
बना पड़ोसी छद्म से, भाई था गुमराह॥-4
पानी पानी हो रहा, पीकर पानी धार
सतलज सिंधु अमृत कलश, बंद करो अब रार॥-5
महातम मिश्र। गौतम गोरखपुरी