कविता

संग तुम्हारे !

संग तुम्हारे …

क्यों करती रहती हो तुम,
यह सब, दिन भर ?

तुम्हारी हर रोज़ की,
हलकान दिनचर्या,
मेरा चैन हर लेती है,
हर दिन थोड़ी सी उम्र मेरी,
कम कर देती है।

जीना चाहता हूं अभी,
कुछ और लम्हें,
संग तुम्हारे,
प्यार के !!

बलवंत सिंह
१०-०७-१६

बलवंत सिंह अरोरा

जन्म वर्ष १९४३, लिखना अच्छा लगता है। निवास- शहरों में शहर....लखनऊ।