गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

जुल्मों सितम से हम कभी घबरा नहीं सकते
झुककर पनाह में तुम्हारी आ नहीं सकते
ये और बात है कि तुम्हें पूजते हैं  हम
लेकिन इशारों  पे हमें नचा नहीं  सकते
दीपक हमारे हाथ के तुम छीन लो बेशक
एहसास के दीए को  तुम बुझा नहीं सकते
जब चाहो आजमालो हमें देश के दुश्मन
हम मादरे -वतन का सर झुका नहीं सकते
आँखों में तेरी अश्क़ उतर आये हैं लेकिन
आँसू हमारे दर्द को बहला नहीं  सकते

‘मंजुल’

मंजुला उपाध्याय 'मंजुल'

जन्म तिथि 16 जुलाई 1962, गृहिणी, स्वतंत्र लेखन. पता- सम्राट चौक पू्र्णियाँ -854301 (बिहार) मो. 09431865979