कविता : काश !
काश !
इस अधुरे रिश्ते को
सम्पूर्ण कर जाते
मेरी सांसों में
कुछ राहत की बूँदें
भर जाते ।
इन आँखों में बैठी
आस को
जीवन दे जाते ।
तेरा जाना तय था
जाने के लिए ही सही
एक बार ! सिर्फ एक बार ,
लौट कर
आ जाते …
देहरी पर
रूह को बैठे
जमाना हो गया …!