शहीद भगत सिंह जी की 109 वीं जयन्ती पर उन्हें सश्रद्ध नमन
ओ३म्
आज शहीद भगत सिंह जी का जन्म दिवस है। आज ही के दिन 28 सितम्बर सन् 1907 में पंजाब के लायलपुर के बांगा गांव में पिता श्री किशन सिंह और माता विद्यावती जी के यहां आपका जन्म हुआ था। आपका पूरा परिवार ही क्रान्तिकारी था। दादा सरदार अर्जुन सिंह तथा पिता किशन सिंह से आपको देशभक्ति के संस्कार मिले थे। आपने युवावस्था में क्रान्तिकारी आन्दोलन में सक्रिय भाग लेना आरम्भ कर दिया था। पंजाब केसरी लाला लाजपत राय की हत्या का बदला लेने के लिए आपने उनके हत्यारे जान सांडर्स की अपने साथियों राजगुरु, सुखदेव और चन्द्रशेखर आजाद सहित हत्या की थी। इसके बाद आपने केन्द्रिय विधान सभा में अपने साथी बटुकेश्वर दत्त के साथ एक बम विस्फोट भी किया और अपनी मांगों के समर्थन में इश्तिहार फेंके थे। स्वेच्छा से ही आपने अपनी गिरफ्तारी भी दी थी। जेल में रहते हुए आपने यूरोपियन कैदियों के समान भारतीय राजनैतिक कैदियों को सुविधायें दिये जाने के लिए 116 दिन की भूख हड़ताल की थी जिसे देश भर में व्यापक जन समर्थन मिला था। 23 मार्च सन् 1931 को आपको लाहौर की जेल में फांसी पर लटका दिया गया था। आपके साथ आपके दो साथियों राजगुरु और सुखदेव जी को भी फांसी पर लटकाया गया था। मृत्यु के समय शहीद भगत सिंह जी का आयु मात्र 23 वर्ष थी। शहीद भगत सिंह जी के जीवन पर फिल्म कलाकार मनोज कुमार ने एक बहुत प्रभावशाली चलचित्र ‘‘शहीद” का निर्माण किया। हमें 12 वर्ष की आयु में सन् 1964 में चकराता जनपद देहरादून के एक मिलिटरी के सिनेमा हाल में लगभग 5-6 बार इस फिल्म को देखने का अवसर मिला था। इस फिल्म के गाने देश भक्ति उत्पन्न करने में पूर्णतः समर्थ थे और सभी गाने देश में लोकप्रिय हुए थे। आज भी हमें अनेक गाने कुछ कुछ याद हैं।
यह भी बता दें कि शहीद भगत सिंह के दादा सरदार अर्जुन सिंह महर्षि दयानन्द और आर्यसमाज के अनुयायी थे तथा प्रतिदिन दैनिक यज्ञ, अग्निहोत्र वा हवन करते थे। आपका पूरा परिवार आर्यसमाजी विचारधारा का था। किशोरावस्था में भगतसिंह जी का यज्ञोपवीत संस्कार वैदिक विधि से सम्पन्न किया गया था जिसे आर्यसमाज के विख्यात पुरोहित पं. लोकनाथ तर्कवाचस्पति ने कराया था। यह लोकनाथ तर्कवाचस्पति अन्तरिक्ष यात्री राकेश शर्मा के दादा थे। आज भी श्री राकेश शर्मा आर्यसमाज के कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। यह भी तथ्य है कि आपकी शिक्षा दीक्षा लाहौर के दयानन्द स्कूल व कालेज में हुई थी। इस विद्यालय में आप आर्यसमाज के अनेक क्रान्तिकारी अध्यापकों आदि के सम्पर्क में आये थे और उनसे देश की आजादी के संस्कार प्राप्त किये थे। लाला लाजपतराय जी तो महर्षि दयानन्द को अपना पिता आर्यसमाज को अपनी माता मानते थे। लाला लाजपतराय जी ने ऋषि दयानन्द, आर्यसमाज और ऋषिभक्त पं. गुरुदत्त विद्यार्थी पर अनेक पुस्तकों की रचनायें भी की हैं। लाहौर में पुलिस अधिकारी सांडर्स की हत्या के बाद आप कलकत्ता आये थे और वहां आर्यसमाज में कई दिनों तक रहे। इस आर्यसमाज में आज भी आपकी थाली व जल पीने का लोटा आदि सुरक्षित है।
शहीद भगत सिंह व उनके साथियों के देश प्रेम के जज्बे और उनकी शहादत को हम नमन करते हैं।
–मनमोहन कुमार आर्य