देख तमाशा कुर्सी का
जो ना कुछ कर पाए जग में
वो बन बैठे नेता हैं ।
किस्मत फूटी अपनी यारा
लूजर आज विजेता है ।
पाने को कुर्सी नेताजी
कर जाएंगे कुछ भी ।
भाई से भाई लड़ा देंगे
हर ओर ये आग लगा देंगे ।
“कुर्सी”तू अलबेली दुनीया में
नहीं कहीं कोई तुझ सी ।
मंदिर मस्जिद गिरवाए तू
गांव मोहल्ला जलवाए तू ,
आग लगा के धर्म ग्रंथों को
दंगे भी तो करवाए तू ।
जीते चाहे कोई यारा
हार तो अपनी होनी है ।
नेताजी की जीत की गठ्ठरी
मंहगाई के बोझ तले
आखिर हमको ही तो ढोनी है ।
-मुकेश सिंह
असम
9706838045