कविता

देख तमाशा कुर्सी का

जो ना कुछ कर पाए जग में
वो बन बैठे नेता हैं ।
किस्मत फूटी अपनी यारा
लूजर आज विजेता है ।
पाने को कुर्सी नेताजी
कर जाएंगे कुछ भी ।
भाई से भाई लड़ा देंगे
हर ओर ये आग लगा देंगे ।
“कुर्सी”तू अलबेली दुनीया में
नहीं कहीं कोई तुझ सी ।
मंदिर मस्जिद गिरवाए तू
गांव मोहल्ला जलवाए तू ,
आग लगा के धर्म ग्रंथों को
दंगे भी तो करवाए तू ।
जीते चाहे कोई यारा
हार तो अपनी होनी है ।
नेताजी की जीत की गठ्ठरी
मंहगाई के बोझ तले
आखिर हमको ही तो ढोनी है ।

-मुकेश सिंह
असम
9706838045

मुकेश सिंह

परिचय: अपनी पसंद को लेखनी बनाने वाले मुकेश सिंह असम के सिलापथार में बसे हुए हैंl आपका जन्म १९८८ में हुआ हैl शिक्षा स्नातक(राजनीति विज्ञान) है और अब तक विभिन्न राष्ट्रीय-प्रादेशिक पत्र-पत्रिकाओं में अस्सी से अधिक कविताएं व अनेक लेख प्रकाशित हुए हैंl तीन ई-बुक्स भी प्रकाशित हुई हैं। आप अलग-अलग मुद्दों पर कलम चलाते रहते हैंl