गीत/नवगीत

श्री राम

अमर रहे सदियों तक वो इक नाम बनने के लिए
त्यागा बहुत कुछ राम ने श्रीराम बनने के लिए

चाहती हूँ श्री राम की महिमा का वर्णन मैं आज करूँ
अल्प बुद्धि से राम की गाथा को अपने शब्दों में पढूं
क्षमा करना छोटे मुँह बड़ी बात करने के लिए
त्यागा बहुत कुछ राम ने श्रीराम बनने के लिए

राज पाट को त्याग के वो सीता के संग वन में चले
लक्ष्मण भी हो साथ लिया कैसे भाई को वो तजे
पिता ने माता को जो दिया वो वचन निभाने के लिए
त्यागा बहुत कुछ राम ने श्रीराम बनने के लिए

पत्थर की अहिल्या को मुक्ति का था मार्ग दिया
वृंदा को बनाकर पावन जग में प्रसिद्ध उसे किया
आज भी तुलसी पूजी जाती मोक्ष पाने के लिए
त्यागा बहुत कुछ राम ने श्रीराम बनने के लिए

प्रेम भक्ति के मान को रखकर शबरी के थे द्वार चले
जूठे बेर थे उसके खाये चेहरे पर ना शिकन पड़े
प्रेम की नयी परिभाषा को जग को सिखाने के लिए
त्यागा बहुत कुछ राम ने श्रीराम बनने के लिए

वन में सीता हरण को जब उस रावण ने अंजाम दिया
पार कर के सागर को उसके प्राणों को तब हर लिया
राजा विभीषण को बनाया राज्य चलाने के लिए
त्यागा बहुत कुछ राम ने श्रीराम बनने के लिए

कर्म पथ का प्रण लिया था इच्छाओं का नाश किया
काम, क्रोध,और लोभ मोह से इन्द्रियों को था जीत लिया
जीवन की डगर पर चलते सच का दामन साथ लिए
त्यागा बहुत कुछ राम ने श्रीराम बनने के लिए।
प्रिया

*प्रिया वच्छानी

नाम - प्रिया वच्छानी पता - उल्हासनगर , मुंबई सम्प्रति - स्वतंत्र लेखन प्रकाशित पुस्तकें - अपनी-अपनी धरती , अपना-अपना आसमान , अपने-अपने सपने E mail - [email protected]