कविता

शरीर से निकलती आत्मा मृत्यु कहलाती है

शरीर अपनी आत्मा को
बिदा करना नहीं चाहता
या यू कहे
आत्मा शरीर को त्यागना नहीं चाहता
एक तड़फन/ऐठन
एक तड़फन/पुनः तड़फन/ऐठन
कश्मकश के साथ
लोभ /मोह के जंजाल में
भ्रमित मन/जैसे अन्धड़ में उड़ता हुआ
एक तिनका
आधार हीन मन/विश्व भ्रमण पर/
कही और जन्म लेने का
आदेश पत्रप्राप्ती की
डाक के इंतज़ार में
बस शरीर से निकलती आत्मा
मृत्यु शैया पर
समाकलन विकलन व समाशोधन
करता हुआ जीव
लाभालाभ एवं स्थिती विवरण को
निवटा कर
बस थोड़ी देर बाद
इकरार नामा /वशीयतनामा देखता
परमेश्वर ईश्वर खुदा में
लीन होना ही
बस शरीर से निकलती आत्मा
मृत्यु कहलाती है
भक्ति ,प्रेम ,परोपकारी भावना का
शरीर में होने पर
आत्मा तत्काल शरीर का
त्याग करती है
हादसों में जीव को
असीम कलेश मिलता
आत्मा घबरा कर/भय/डर
ऐकाकी होकर
सु काल /शुभ समय न होकर अकाल में
काल के गाल में समा जाती है /बस
शरीर से निकलती आत्मा
मृत्यु कहलाती है
शून्य में फसा जीव/आत्मा
चाहे अंधकार हो चाहे प्रकाश हो
घेरे को काटने में अपने को
असमर्थ पाता /तड़फता /व्याकुल/हताश
शरीर और आत्मा
परमात्मा में समा जाने को आतुर
धीरे धीरे /मंद मंद
बस
शरीर से निकलती आत्मा
मृत्यु कहलाती है
जन्मतिथियों पर आधारित
मृत्यु का जिक्र इतिहास में
मास पक्ष दिवस तिथि पर
सूर्य उत्तरायण होने पर आदि
शरीर की आत्मा
मृत्यु के उस क्षण का इंतज़ार करती
हंसते हंसते आत्मा उस क्षण में
ब्रह्मलीन हो जाती है
बस शरीर से निकलत आत्मा
मृत्यु कहलाती है
जन्म मरण पुनर्जन्म
संसार का चक्र /क्रम चलता
मानव भय खाता /डरता /लड़ता
पागल सा /पराजित होता
शरीर आत्मा के युद्ध में
इसी युद्ध को जीतना होगा
लड़ना होगा /संघर्ष करना होगा
हो सके दोनों पर उन क्षणों पर
कलम उठा कर कागज पर
नई कविता लिखना होगा
बस शरीर से निकलती आत्मा
मृत्यु ही है ।

अनिल कुमार सोनी

अनिल कुमार सोनी

जन्मतिथि :01.07.1960 शहर/गाँव:पाटन जबलपुर शिक्षा :बी. काम, पत्रकारिता में डिप्लोमा लगभग 25 वर्षों से अब तक अखबारों में संवाददाता रहा एवं गद्य कविताओं की रचना की अप्रकाशित कविता संग्रह "क्या तुम समय तो नहीं गवां रहे हो "एवं "मधुवाला" है। शौक :हिंदी सेवा सम्प्रति :टाइपिंग सेंटर संचालक