कुण्डली/छंद

“कुंडलिया”

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लहरें उठें समुंदरी, सूरज करें प्रकाश

नौका लिए सफर चली, मोती मोहित आस

मोती मोहित आस, किनारे शोर मचाएँ

बादल दिखता पास, चाँद तन मन ललचाए

कह गौतम चितलाय, अलौकिक शोभा पसरे

देखत जिया जुड़ाय, चलें लहरों पर लहरें॥

महातम मिश्रा, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ