उ.प्र. में परिवर्तन यात्रा के सहारे भाजपा
सीमा पर भारतीय सेना की ओर से की गयी सर्जिकल स्ट्राइक, उसके बाद देश ही नहीं अपितु उप्र में बह रही राष्ट्रवाद की लहर व चुनावी सर्वों में बढ़त के आधार पर उत्साहित भाजपा अब परिवर्तन यात्रा और दलितों के बीच पैठ बनाने के उद्देश्य से नयी रणनीति बना रही है। वहीं दूसरी ओर भाजपा में दूसरे दलों के नेताओं का आना भी लगा हुआ है। हालांकि अभी भी भाजपा प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर असमंजस में है। उत्तर प्रदेश की राजनीति में इस समय मुस्लिम समाज के बीच में तीन तलाक और बहुविवाह का मुददा भी छा गया है। तीन तलाक आदि पर जहां मुस्लिम समाज की महिलाओं में अंदर ही अंदर जबर्दस्त उत्साह व्याप्त है, वहीं आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड व मुस्लिम धर्मगुरू अपनी राजनीति चमकाने में जुट गये हैं। हालांकि महिला सुरक्षा ओैर समान अधिकार के नाम पर केंद्र सरकार अब इस विषय पर अड़ती नजर आ रही है। राजनैतिक विश्लेषकों का अनुमान है कि यदि चुनावों के पहले सर्वोच्च न्यायालय की कोई गाइडलाइन सामने आ जाती है तो इसका लाभ भी भाजपा को ही मिलेगा।
वहीं दूसरी ओर पीएम मोदी ने उप्र के विधानसभा चुनावों में भाजपा की बढ़त को और बढ़ाने के लिए लखनऊ में ऐशबाग की रामलीला में विधिवत भाग लेकर और ‘जय श्रीराम’ का नारा लगाकर भाजपा कार्यकर्ताओं का मनोबल और बढ़ा दिया है। तेजी से घट रही घटनाओं के बीच उप्र को लेकर हाल में जो सर्वे आये हैं उनमें भाजपा को अब नंबर एक पर दिखाया जा रहा है। वहीं भाजपा एक बार फिर अपने कील कांटों को दुरूस्त करने में जुट गयी है। चुनावों से पूर्व बसपा नेत्री मायावती के शक्ति प्रदर्शन के ठीक पहले बसपा अध्यक्ष मायावती पर अभद्र टिप्पणी करने के आरोप में भाजपा से बर्खास्त किये गये दयाशंकर सिंह की पत्नी स्वाति सिंह को महिला मोर्चे का नया अध्यक्ष बना दिया है। वहीं अल्पसंख्यकों के बीच अपनी उपस्थिति को दर्ज कराने के उददेश्य से वाराणसी के हैदर अब्बास चांद को अलपसंख्यक मोर्चे का अध्यक्ष बनाया है।
सभी दलों की ओर से किये जा रहे शक्ति प्रदर्शन व सेना के सर्जिकल स्ट्राइक के बाद विभिन्न मीडिया सर्वे में भाजपा को सत्ता का प्रबल दावेदार बताया जा रहा है। इंडिया टुडे एक्सिस के सर्वे में यह बात सामने आ रही है कि यूपी में जहां मुख्यमंत्री पद की पहली पसंद अखिलेश यादव बने हुए हैं और बसपा नेत्री मायावती दूसरे नंबर पर चल रही है। लेकिन सर्वाधिक आश्चर्य की बात यह है कि सीटों के नजरिये सबसे अधिक लाभ भाजपा को होने जा रहा है। सर्वे के अनुसार प्रदेश में भाजपा को 31 प्रतिशत वोटों के साथ 170 से 183 सीटों का अनुमान लगाया जा रहा है। जबकि बसपा को 28 प्रतिशत वोटों के साथ मात्र 115 से 124 सीटों पर ही सिमटता दिखाया जा रहा है। वहीं सपा को मात्र 25 प्रतिशत वोट ही मिलने का अनुमान हैं तथा वह 94 से 103 के बीच सिमटती दिखायी पड़ रही है। कांग्रेस व अन्य छोटे दल केवल 8 से 12 के बीच सिमटते दिखायी पड़ रहे हैं।
राजनैतिक विश्लेषकों का अनुमान है कि प्रदेश के मुसलमानों के बीच समाजवादी सरकार व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की लोकप्रियता कायम है। यदि सभी दल पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ते हैं तथा किन्हीं न किन्हीं कारणों से धर्मनिरपेक्ष दलों के मतों का बिखराव होता है तो उसका लाभ भाजपा को ही मिल सकता है। कारण साफ है कि यूपी की 45 प्रतिशत से अधिक आबादी को केंद्र सरकार व पीएम मोदी पर अभी भी भरोसा व उम्मीद कायम है। वहीं दूसरी ओर यह बात भी सर्वे में सामने आ रही है कि उप्र की 88 प्रतिशत जनता विकास को मुद्दा बनाकर यदि वोट करती है तब भाजपा और सपा के बीच भी कुछ मुकाबला देखने को मिल सकता है।
इसी सर्वे आदि से उत्साहित भाजपा ने अब चार दिशाओं से अपनी परिवर्तन यात्रा निकालने का निर्णय लिया है, जिनका समापन लखनऊ में पीएम मोदी की रैली से होगा। भाजपा की पहली परिवर्तन यात्रा 5 नवंबर को सहारनपुर से शुरू होगी। 6 को यह ललितपुर 8 को सोनभद्र और 9 को बलिया से यह यात्रा निकलेगी। परिवर्तन यात्राओं में अलग-अलग विधि और स्थान के अनुसार केंद्रीय, प्रदेश जिला व क्षेत्रीय स्तर के नेताओं की जिम्मेदारी तय की गयी है। खबर यह भी है कि चुनावों से पहले ही पीएम मोदी की प्रदेश में 8 चुनावी रैलियां होने जा रही हैं। वहीं अब भाजपा बदली रणनीति के तहत अगले माह से पिछड़ा वर्ग सम्मेलन करने की योजना भी बना रही है। यह सम्मेलन दो विधानसभा क्षेत्रों के बीच किया जायेगा। इसके साथ ही युवा और महिला सम्मेलनों पर भी विचार किया जा रहा है। इन यात्राओं व सम्मेलनों में सपा व बसपा के कुशासन का प्रचार तो किया ही जायेगा साथ ही साथ केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं को भी जनता के बीच प्रसारित- प्रचारित किये जाने की व्यापक योजना बन रही है। वहीं भाजपा अध्यक्ष अमित शाह व प्रदेश प्रभारी ओम माथुर भी प्रदेश में आगामी दिनों में प्रदेश में डेरा डालने की व्यापक योजना बना रहे हैं।
धम्म चेतना यात्रा के साथ ही भाजपा मान्यवर कांशीराम की मौत को भी चुनावी मुद्दा बनाने जा रही है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने बसपा को व्यापक पैमाने पर घेरने की योजना के तहत कांशीराम की मौत के मामले की सीबीआई जांच का मुद्दा उठा दिया है। भाजपा अध्यक्ष का मानना है कि कांशीराम की मौत आज भी सवालों के घेरे में है। उनका मानना है कि मान्यवर कांशीराम की मौत स्वाभाविक नहीं थी।
— मृत्युंजय दीक्षित