गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल –कुछ तुम झुको कुछ हम झुकें

आते तो सभी अकेले हैं इस दुनिया में और जाते भी अकेले ही हैं , पर आने व जाने के मध्य जो संसार-व्यापार है, यही ज़िंदगी है और हर लम्हा खुश खुश जीना ही जीना है | इस ज़िंदगी के सफ़र में किसी हमसफ़र का होना उसे सुहाना सफ़र बना देता है | सफ़र को सुहाना बनाए रखेने के लिए एक दूसरे को सुनना, समझना, जानना व मानना अत्यंत आवश्यक है …प्रस्तुत है एक गज़ल…..

कुछ तुम रुको कुछ हम रुकें चलती रहे ये ज़िंदगी |

कुझ तुम झुको कुछ हम झुकें ढलती रहे ये ज़िंदगी |

कुछ तुम कहो कुछ हम कहें सुनती रहे ये ज़िंदगी ,|

कुछ तुम सुनो कुछ हम सुनें कहती रहे ये ज़िंदगी |

बहकें जो  साथ साथ तो छलकी   ये ज़िंदगी,

मस्ती में झूमके चलें  मचली रहे  ये ज़िंदगी |

घुट घुट के जीना भी है क्या ए यार कोइ ज़िंदगी,

कोइ न साथ देगा बस छलती रहे ये ज़िंदगी |

हर गम खुशी जो साथ साथ यार के जिए ,

आयें हज़ार गम यूंही हंसती रहे ये ज़िंदगी |

वो हारते ही कब हैं जो सज़दे में झुक लिए ,

यूं फख्र से जियो यूंही चलती रहे ये ज़िंदगी |

रहरौ है हर एक शख्स और दुनिया है रहगुजर ,

खुश रंग यूंही चलते रहो पलती रहे ये ज़िंदगी |

आया न साथ कोई,  न कोई साथ जायगा,

कुछ हमकदम हों साथ तो संभली रहे ये ज़िंदगी |

गुल भी हैं और खार भी, इस रहगुजर में श्याम’

हो साथ हमनफस कोई खिलती रहे ये ज़िंदगी ||

डॉ श्याम गुप्त

डॉ. श्याम गुप्त

नाम-- डा श्याम गुप्त जन्म---१० नवम्बर, १९४४ ई. पिता—स्व.श्री जगन्नाथ प्रसाद गुप्ता, माता—स्व.श्रीमती रामभेजीदेवी, पत्नी—सुषमा गुप्ता,एम्ए (हि.) जन्म स्थान—मिढाकुर, जि. आगरा, उ.प्र. . भारत शिक्षा—एम.बी.,बी.एस., एम.एस.(शल्य) व्यवसाय- डा एस बी गुप्ता एम् बी बी एस, एम् एस ( शल्य) , चिकित्सक (शल्य)-उ.रे.चिकित्सालय, लखनऊ से वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक पद से सेवा निवृत । साहित्यिक गतिविधियां-विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं से संबद्ध, काव्य की सभी विधाओं—गीत, अगीत, गद्य निबंध, कथा, आलेख , समीक्षा आदि में लेखन। इन्टर्नेट पत्रिकाओं में लेखन प्रकाशित कृतियाँ -- १. काव्य दूत, २. काव्य निर्झरिणी ३. काव्य मुक्तामृत (काव्य सन्ग्रह) ४. सृष्टि –अगीत विधा महाकाव्य ५.प्रेम काव्य-गीति विधा महाकाव्य ६. शूर्पणखा महाकाव्य, ७. इन्द्रधनुष उपन्यास..८. अगीत साहित्य दर्पण..अगीत कविता का छंद विधान ..९.ब्रज बांसुरी ..ब्रज भाषा में विभिन्न काव्य विधाओं की रचनाओं का संग्रह ... शीघ्र प्रकाश्य- तुम तुम और तुम (गीत-सन्ग्रह), व गज़ल सन्ग्रह, कथा संग्रह । मेरे ब्लोग्स( इन्टर्नेट-चिट्ठे)—श्याम स्मृति (http://shyamthot.blogspot.com) , साहित्य श्याम (http://saahityshyam.blogspot.com) , अगीतायन, हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान, छिद्रान्वेषी एवं http://vijaanaati-vijaanaati-science सम्मान आदि—१.न.रा.का.स.,राजभाषा विभाग,(उ प्र) द्वारा राजभाषा सम्मान,(काव्यदूत व काव्य-निर्झरिणी हेतु). २.अभियान जबलपुर संस्था (म.प्र.) द्वारा हिन्दी भूषण सम्मान( महाकाव्य ‘सृष्टि’ हेतु ३.विन्ध्यवासिनी हिन्दी विकास संस्थान, नई दिल्ली द्वारा बावा दीप सिन्घ स्मृति सम्मान, ४. अ.भा.अगीत परिषद द्वारा अगीत-विधा महाकाव्य सम्मान(महाकाव्य सृष्टि हेतु) ५.’सृजन’’ संस्था लखनऊ द्वारा महाकवि सम्मान एवं सृजन-साधना वरिष्ठ कवि सम्मान. ६.शिक्षा साहित्य व कला विकास समिति,श्रावस्ती द्वारा श्री ब्रज बहादुर पांडे स्मृति सम्मान ७.अ.भा.साहित्य संगम, उदयपुर द्वारा राष्ट्रीय प्रतिभा सम्मान ( शूर्पणखा-काव्य-उपन्यास हेतु)८ .बिसारिया शिक्षा एवं सेवा समिति, लखनऊ द्वारा ‘अमृत-पुत्र पदक ९. कर्नाटक हिन्दी प्रचार समिति, बेंगालूरू द्वारा सारस्वत सम्मान(इन्द्रधनुष –उपन्यास हेतु) १०..विश्व हिन्दी साहित्य सेवा संस्थान,इलाहाबाद द्वारा ‘विहिसा-अलंकरण’-२०१२....आदि..