“मुक्तक”
चलता दिन प्रकाश ले, पहर रात अंधकार
दीपक घर घर में जले, माँटी महक अपार
सीमा के प्रहरी ललन, दीप कुमार प्रदीप
सीना ताने तुम खड़ें, नमन करूँ शत बार॥
— महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
चलता दिन प्रकाश ले, पहर रात अंधकार
दीपक घर घर में जले, माँटी महक अपार
सीमा के प्रहरी ललन, दीप कुमार प्रदीप
सीना ताने तुम खड़ें, नमन करूँ शत बार॥
— महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी