लघुकथा

लघुकथा : स्किन एलर्जी

“भैया ! जरा कुछ कान के बुंदों के डिजाइन दिखाना।” लड़की ने सुनार से कहा। सुनार ने भार तोलकर एक ट्रे में बुंदों की कुछ जोड़ी उन माँ-बेटी के सामने रख दीं।
बेटी एक-एक कर माँ के कानों के पास लेजाकर बुंदे देखती और शीशे में माँ को दिखाकर पूछती “ये कैसे लग रहे हैं?”
“सुन्दर हैं! लेकिन किसके लिए ले रही हो?”
“मेरी पहली कमाई से आपके लिए, और किसके लिए?” बेटी मुस्कुरा दी।
“नहीं, मुझे नहीं चाहिए। अपने लिए ले लो। वैसे भी क्या तू नहीं जानती, मुझे नहीं सुहातीं अब ये सब चीजें, मुझे तो इनसे स्किन एलर्जी हो जाती हैं।” माँ ने सफाई दी।
“हां! माँ सब जानती हूँ। सेमिस्टर-दर-सेमिस्टर मेरी फीस भरते हुए तुम्हारी स्किन एलर्जी क्यों बढ़ती चली गई।”

— नीता सैनी

नीता सैनी

जन्म -- 22 oct 1970 शिक्षा -- स्नातक लेखन -- कविता , लघुकथा प्रकाशन -- पत्र -पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित संपर्क -- घर का पता 117 , मस्जिद मोठ , नई दिल्ली - 110049 पत्र व्यवहार के लिए ऑफिस का पता -- नीता सैनी - न्यू जगदम्बा टेंट हाउस L - 505 / 4 -- शनि बाजार संगम विहार , नई दिल्ली - 80