कविता

विधा- चौपई / जयकरी छंद

भारी भीड़ लगी है मोल, रख अपना दरवाजा खोल
छूट न जाए कोई होल, न कोई रगर न मोलतोल।।-1

पैसा झोला अपने पास, उलट पलट कर खेलो तास
कौन पराया कौ है खास, अपनी रोटी अपनी घास।।-2

अपना दीपक अपना राम, साफ सफाई अपना काम
आओ लक्ष्मी मेरे धाम, सह सह विष्णु विराजो वाम।।-3

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ