कविता

“कुंडलिया”

chhath-maiya

ॐ जय छठ मैया ।।

देवा सूर्या साधना, महिमा छठी अपार

बाढ़ें पूत सहित पुरा, घर घर छठ छठिहार

घर घर छठ छठिहार, आरजू अर्घ निराला

सुबह शाम जयकार, किरिनियाँ करे निहाला

कह गौतम हरषाय, सूपड़ा भरि फल मेवा

गावत ढ़ोल बजाय, सुहागन पूजति देवा॥

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ