ॐ जय छठ मैया ।।
देवा सूर्या साधना, महिमा छठी अपार
बाढ़ें पूत सहित पुरा, घर घर छठ छठिहार
घर घर छठ छठिहार, आरजू अर्घ निराला
सुबह शाम जयकार, किरिनियाँ करे निहाला
कह गौतम हरषाय, सूपड़ा भरि फल मेवा
गावत ढ़ोल बजाय, सुहागन पूजति देवा॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी