लघुकथा

लघुकथा : शरीफ

पूजा आफिस में घुसते-घुसते गेट के बाहर ही ठिठक गई। भीतर उसी की बातें हो रही थीं।
” यार, यह जो पूजा है न ! जरा सा लिफ्ट नहीं देती। हम क्या इतने बुरे हैं। इसने खुद को समझ क्या रखा है !” यह महेश की आवाज थी।
” हाँ यार, बस वह दनदनाते हुए आती है और सीधे काम पर लग जाती है। न कुशल, न क्षेम। बस वही हाथ हिला-हिलाकर सूखी- सूखी हाय- हैलो, धत् इससे क्या होता है !” दिनेश बोला।
अब नीरज का नम्बर था -“यार, मैं क्या बताऊँ , चेहरे-मोहरे से भी बहुत फर्क पड़ता है। तुम कमीनों, फिल्मों के विलेन जैसे तो दिखते हो, भला कौन लड़की घास डालेगी तुम्हें ! वैसे यहाँ सबसे शरीफ वह मुझे ही समझती है, तभी तो कोई समस्या आने पर मुझसे ही पूछती है। पर उसे यह हकीकत कहाँ मालूम कि इस आफिस में मैं ही सबसे ज्यादा खतरनाक हूँ।”
समवेत ठहाकों से पूरा आफिस गुंज उठा।

मुन्नू लाल

मुन्नू लाल

नाम- मुन्नू लाल जन्मतिथि- 15 मार्च,1970 सम्प्रति- अध्यापक, बेसिक शिक्षा परिषद, उत्तर प्रदेश प्रकाशन- शुभतारिका, झंकृति, सामाजिक आक्रोश, नन्दन, चम्पक, नन्हे सम्राट, अट्ठहास इत्यादि पत्र- पत्रिकाओं में लघुकथाएँ, कहानियाँ, बाल कहानियाँ व व्यंग्य प्रकाशित पुरस्कार- राज्य संसाधन केन्द्र, लखनऊ (उ.प्र.) द्वारा 2001 में आयोजित नवसाक्षर साहित्य लेखन प्रतियोगिता में दो प्रविष्टियाँ पुरस्कृत व पुस्तिकाकार प्रकाशित संपर्क- ग्राम-पुरूषोत्तमपुर, पोस्ट-सोनपुर, वाया गैसड़ी, जिला- बलरामपुर-271210 (उत्तर प्रदेश) मो0नं0-09919028165