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आर्यसमाज के वयोवृद्ध भजनोपदेशक महाशय श्रीपाल आर्य

महाशय श्रीपाल आर्य आर्यसमाज के वयोवृद्ध भजनोपदेशक है।  आप आर्यसमाज के महान उपदेशक स्वामी जी भीष्म जी महाराज के अनन्य शिष्य है। छोटी आयु में ही आपने अपना पूरा जीवन स्वामी दयानंद के वैदिक सिद्धांतों के प्रचार के लिए समर्पित कर था। 80 वर्ष से अधिक आयु में आपने 50 वर्ष से अधिक एक भजनोद्देशक के रूप में कार्य करते  व्यतीत किये है। अनेक बार आपने भूखे रहकर केवल चने खाकर प्रचार किया। अनेक बार पौराणिकों ने ईंटों और गालियों की वर्षा तक कर दी। तो भी आप नहीं घबराये। आपका पुरुषार्थ रूपी जीव सभी को अत्यंत प्रेरणा देने वाला है। यह एक अत्यंत शोक का विषय है कि  आर्यसमाज अपने भजनोपदेशकों  को वृद्ध होने पर कोई सुध नहीं लेता। हम स्वामी दयानंद द्वारा प्रतिपादित श्राद्ध एवं तर्पण की संज्ञा को भी भूल गए कि श्राद्ध जीवित पितरों का किया जाता हैं। इसलिए जहाँ कहीं भी आपको महाशय श्रीपाल जी के समान वयोवृद्ध आर्य प्रचारक मिले। उनका उचित सम्मान करना हमारा दायित्व बनता है। हाल ही में शांतिधर्मी मासिक पत्रिका के संस्थापक स्वर्गीय पंडित चंद्रभानु जी के 86 वें जन्मदिवस पर जींद, हरियाणा में उनका सम्मान किया गया।  आर्यसमाज के वर्तमान लेखक, सभाएं आदि भी गृहस्थों के समान उतने ही दोषी है, जो अपना महिमामंडन करने में लगे रहते है। श्रीपाल जी सरीखे महान प्रचारकों का मान-सम्मान करना, उन्हें कभी स्मृत नहीं होता।
डॉ विवेक आर्य
श्रीपाल जी के क्रांतिकारी विचारों को सुनने के लिए Youtube पर इस लिंक पर जाये