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तैलंगकुलम् के प्रतिभा सम्‍मान समारोह में ‘आकुल’ केे गीत संग्रह ‘नवभारत का स्‍वप्‍न सजाएँँ’ का लोकार्पण हुआ

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कोटा। 6 नवम्‍बर को सूचना केंद्र जयपुर में एक भव्‍य आयाेेजन में अनेकों प्रतिभाओं और अनेक, शोधार्थियाें, संगीतकारों, साहित्‍यकारों, चित्रकारों, पत्रकारों को सम्‍मानित किया गया। साथ ही तीन पुस्‍तकों का लोकार्पण भी किया गया. समारोह‍ का मुख्‍य आकर्षण थीं लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्‍कारों से नवाज़े गये समाज के प्रबुद्ध मनी‍षियों और स्‍व0 रामादेवी स्‍मृति पुरस्‍कार के अंतर्गत श्रीमती राधा देवी (बुलबुलजी) को पुरस्‍कृत किया जाना. श्रीमती राधादेवी प्रख्‍यात सितारवादक स्‍व0 पं0 शशिमोहन भट्ट की पत्‍नी हैं।  इस अवसर पर तीन पुस्‍तकों में ‘आकुल’ की पुस्‍तक के अलावा श्री ओम प्रकाश गोस्‍वामी (प्रकाशजी) द्वारा विरचित ‘श्रीबलदेवचरितम्’  और डा0 ईशा भट्ट लिखित ‘वस्‍त्र एवं परिधान: एक परिचय’ jmncका लोकार्पण भी आकर्षण का केंद्र था.  श्री ‘आकुल’ केे गीत संग्रह ‘नवभारत का स्‍वप्‍न सजाएँँ’ का लोकार्पण उपरोक्‍त दो पुस्‍तकों के साथ ही मंचासीन समारोह अध्‍यक्ष संस्‍कृत मनीषी देवर्षि पं. कलानाथ शास्‍त्री, मुख्‍य अतिथि पूर्व जिला एवं सेशन जज श्री मुरलीधर गोस्‍वामी, पूर्व न्‍यायाधीश श्री विनय गोस्‍वामी, तैलंगकुलम् के अध्‍यक्ष श्री यदुनाथ भट्ट, उपाध्‍यक्ष श्री रवि गोस्‍वामी, प्रख्‍यात पत्रकार एवं उद्धोषक श्री प्रभात गोस्‍वामी एवं लेखक त्रय के द्वारा सम्‍पन्‍न किया गया. श्री ‘आकुल’ ने सद्य प्रकाशित  नवगीत संग्रह ‘जब से मन की नाव चली’ भी सभी मंचासीन अतिथियों को भेंट की.  उन्होने बताया कि यह दोनों पुस्‍तक तैलंगकुलम् के प्रकाश स्‍तम्‍भ अनुष्‍टुप प्रकाशन, जयपुर से ही प्रकाशित हुई हैं. पुुस्‍तक के लोकार्पण के ऊहापोह के चलते विलम्‍ब होने पर ‘आकुल’ ने बताया कि नवम्‍बर में तैलंगकुलम् के प्रतिभा सम्‍मान समारोह की घोषणा होने पर इस पुस्‍तक का लोकार्पण होना तय हो गया, किन्‍तु विलम्‍ब के कारण nbss1यह पुस्‍तक राष्‍ट्रीय स्‍तर पर पुरस्‍कृत हो जाने के कारण एक औपचारिकता स्‍वरूप यह प्रकाशक द्वारा लोकार्पित किया जाना आवश्‍यक समझा गया. इस गीत संग्रह केे लिए अखिल हिन्‍दी साहित्‍य सभा (अहिसास) नाशिक द्वारा 16 अक्‍टूबर को नाशिक में एक भव्‍य समारोह में श्री ‘आकुल’ सम्‍मानित किया गया. इसी कार्यक्रम में उनके सद्य प्रकाशित नवगीत संग्रह ‘जब से मन की नाव चली’ का भी लोकार्पण किया गया.  ‘आकुल’ की पुस्‍तक के बारे में संचालक द्वारा वक्‍तव्‍य पढ़ा गया। बताया गया ‘सपने वे नहीं होते, जो हम सोते हुए देखते हैं. पने वे होते हैं, जो हमें सोने नहीं देते, पर सुनहरे सपनों को सँजोए हुए रखते हैं. इसी हुंकार और टंकार के साथ आकुलजी का यह गीत संग्रह पाठकों के बीच है. इस संग्रह में 48 गीतों का विविधवर्णी समावेश है. ये गीत इस मन्‍तव्‍य का भी समर्थन करते हैं कि यदि वर्तमान को सुधारा जाय तो भविष्‍य अपने आप सुधर जाएगा. यही जीवन मार्ग राजमार्ग सिद्ध होगा. इन गीतों में चुनौतियों के प्रतिकार का सामर्थ्‍य दिखाई देता है. गीतकार का मनना है कि चुनौतियाँँ शाश्‍वत हैा, सदा रहेंगी. इनका सामना करना ही संघर्ष है. हौसला और कर्तव्‍यपरायणता इसकी प्राथमिकता है.  कार्यक्रम के समापन पर ‘आकुल’ ने संग्रह की कुछ प्रतियाँँ प्रबुद्ध मनीषियों यथा, पूर्व आई.ए.एस. श्री जगदीश शर्मा, पूर्व कलक्‍टर श्री हेमन्‍त शेष, वरिष्‍ठ साहित्‍यकार, पत्रकार एवं इस समारोह में लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्‍कार से सम्‍मानित श्री अशोक आत्रेय, साहित्‍यकार श्री सुरेश गोस्‍वामी, विशिष्‍ट कला साधना सम्‍मान से सम्‍मानित ध्रुपद सम्राट पं0 लक्ष्‍मण भट्ट के पुत्र वायलिन वादक श्री रविशंकर भट्ट आदि को भेंट स्‍वरूप प्रदान की।

डॉ. गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल'

डॉ. गोपाल कृष्ण भट्ट ‘आकुल’ जन्म तिथिः18 जून 1955, महापुरा, जयपुर, राजस्थान. शिक्षाः एम0काॅम, डी0टी0पी0 (कम्प्यूटर) साहित्यिक यात्राः 1975 से आज तक विभिन्न प्रमुख पत्र पत्रिकाओं में लेख, कवितायें, कहानी, लघुकथायें, गीत, नवगीत, नाटक आदि प्रकाशित एवं कई संकलनों में प्रकाशन। 1993 से 2008 तक लगभग 6000 वर्ग पहेलियाँ अमर उजाला व अन्य प्रमुख समाचार पत्रों में प्रकाशित. प्रकाशित कृतियाँः 1. प्रतिज्ञा (1995)- (1995)- महाभारतीय पृष्ठभूमि पर महानायक ‘कर्ण’ पर आधारित नाटक, 2. पत्थरों का शहर पत्थरों का शहर पत्थरों का शहर (2008)- (2008)- हिन्दी गीत ग़जल और नज़्में, 3. जीवन की गूँज (2010)- (2010)- काव्य संग्रह 4. अब रामराज्य आएगा!! (2013)-लघुकथा संग्रह, 5. नवभारत का स्वप्न सजाएँ (2016) गीत संग्रह 6. जब से मन की नाव चली (2016)- नवगीत संग्रह। प्रमुख संकलनः(कुल 10) 1. श्री मुकेश नादान सम्पादित ‘साहित्यकार-5’ (काव्य संग्रह) में 5 साहित्यकारों में सम्मिलित 2. त्रिलोक सिंह ठकुरैला सम्पादित ‘कुण्डलिया कानन (कुण्डलिया छंद संग्रह). सम्पादनः 13 पुस्तकों का सम्पादन. सम्मान/सम्मानोपाधिः पं0 बृजबहादुर पाण्डेय स्मृति सम्मान (बहराइच), शब्द श्री (उज्जैन), काव्य केसरी, विवेकानन्द सम्मान (कोलकाता), कविगुरु रवीन्द्रनाथ ठाकुर सारस्वत साहित्य सम्मान (कोलकाता), साहित्य श्री, ‘साहित्य मार्तण्ड, साहित्य कला रत्न, साहित्य शिरोमणि, भारतीय भाषा रत्न (भागलपुर) , साहित्य मनीषी, कलम कलाधर, शब्द भूषण (उज्जैन), हिन्‍दी साहित्‍य भूषण (साहित्य मंडल, नाथद्वारा), सामाजिक संस्‍था 'तैलंगकुलम्', जयपुर द्वारा प्रेमचन्द्र गोस्वामी स्मृति सम्मान (जयपुर) और अखिल हिन्‍दी साहित्‍य सभा (अहिसास), नाशिक द्वारा विद्योत्‍तमा साहित्‍य सम्‍मान, 2016. अधिकृत उपाधिः विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, भागलपुर (बिहार) से विद्या वाचस्पति. सम्प्रतिः राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय, कोटा से अनुभाग अधिकारी के पद से 30 जून, 2015 को सेवानिवृत्त, स्वतंत्र साहित्य यात्रा में संलग्न. वर्तमान में नवम्बर 2010 से ई-पत्रिका ‘अभिव्यक्ति’ (http://abhivyakti-hindi.org) एवं अक्टूबर 2015 से राजस्थान पत्रिका के सांध्य दैनिक (जयपुर) ‘न्यूज टुडे’ में हिन्दी वर्गपहेली निरन्तर प्रकाशित. स्थाई निवासः ‘सान्निध्य’, 817, महावीर नगर-2, कोटा (राजस्थान)-324005, भारत. ईमेलः [email protected] ; [email protected] ब्लाॅगः http://saannidhya.blogspot.com दूरभाष/मोबाइल: 0744-2424818/09462182817