कविता

“कुंडलिया”

 

arjun

अर्जुन ने की साधना, लक्ष्य भेदता तीर

आँख निशाने पर लगी, उठी मछलिया पीर

उठी मछलिया पीर, मुनादी बाजे भैया

नोट वोट लहराय, ट्रम्प की चाल बलैया

कह गौतम हरषाय, ठगे से निकले दुर्जन

आतंकी घबराय, गाँडीव उठाए अर्जुन॥

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ