कविता “कुंडलिया” *महातम मिश्र 10/11/2016 अर्जुन ने की साधना, लक्ष्य भेदता तीर आँख निशाने पर लगी, उठी मछलिया पीर उठी मछलिया पीर, मुनादी बाजे भैया नोट वोट लहराय, ट्रम्प की चाल बलैया कह गौतम हरषाय, ठगे से निकले दुर्जन आतंकी घबराय, गाँडीव उठाए अर्जुन॥ महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी