ग़ज़ल : मैने जिसे चाहा वो मुझे यार चाहिये
मैने जिसे चाहा वो मुझे यार चाहिये
दिल की बात बताने को दिलदार चाहिये
निभाना हो रिश्ते तो कोई वादा न हो
विश्वास के लिये तो इक करार चाहिये
तुम्हारे आने से चमन मे फूल खिला है
अब सिर्फ जीवन मे खुशी आपार चाहिये
पता है खामोशी भी सबकुछ बयां करती है
मगर अब खुलकर प्यार का इजहार चाहिये
‘निवेदिता’ कर रही इक निवेदन तुमसे
अब कुछ नही बस तेरा प्यार चाहिये
— निवेदिता चतुर्वेदी ‘निव्या’