लघुकथा- और वो
सभी की घृणित निगाहें उसी टेबल पर टिक गई.
“सभी इधर ही देख रहे है. भरी आँखे. टपकती लार, मुंह से गिरता खाना. साफ कीजिए.” पत्नी ने पति के कान में कहा तो पति बोला, “ पहले इन्हें शांति से खा लेने दीजिए.”
“इन्हें इतनी ऊंची होटल में नहीं लाना चाहिए था.” पत्नी ने कहा था कि तभी वेटर पास आ कर फुसफुसाया, “साहब ! आप केबिन में चले जाइए. कुछ लोगों को यह अच्छा नहीं लग रहा है.”
“क्या अच्छा नहीं लग रहा है,” पति तैश में बोला, “मेरा खाना खिलाना या इन की बेबसी ?”
“ जी सर, वो क्या है ना. बड़े लोगों को यह गन्दापन अच्छा नहीं लग रहा है. इसलिए आप केबिन में चले जाइए.” वेटर विनती कर रहा था.
“और वो ..”
सामने उन्हीं बड़े लोगों का एक छोटा बच्चा गंदी नेपी से फर्श गन्दा कर रहा था.