लघुकथा

लघुकथा- और वो

सभी की घृणित निगाहें उसी टेबल पर टिक गई.
“सभी इधर ही देख रहे है. भरी आँखे. टपकती लार, मुंह से गिरता खाना. साफ कीजिए.” पत्नी ने पति के कान में कहा तो पति बोला, “ पहले इन्हें शांति से खा लेने दीजिए.”
“इन्हें इतनी ऊंची होटल में नहीं लाना चाहिए था.” पत्नी ने कहा था कि तभी वेटर पास आ कर फुसफुसाया, “साहब ! आप केबिन में चले जाइए. कुछ लोगों को यह अच्छा नहीं लग रहा है.”
“क्या अच्छा नहीं लग रहा है,” पति तैश में बोला, “मेरा खाना खिलाना या इन की बेबसी ?”
“ जी सर, वो क्या है ना. बड़े लोगों को यह गन्दापन अच्छा नहीं लग रहा है. इसलिए आप केबिन में चले जाइए.” वेटर विनती कर रहा था.
“और वो ..”
सामने उन्हीं बड़े लोगों का एक छोटा बच्चा गंदी नेपी से फर्श गन्दा कर रहा था.

*ओमप्रकाश क्षत्रिय "प्रकाश"

नाम- ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ जन्म- 26 जनवरी’ 1965 पेशा- सहायक शिक्षक शौक- अध्ययन, अध्यापन एवं लेखन लेखनविधा- मुख्यतः लेख, बालकहानी एवं कविता के साथ-साथ लघुकथाएं. शिक्षा-बीए ( तीन बार), एमए (हिन्दी, अर्थशास्त्र, राजनीति, समाजशास्त्र, इतिहास) पत्रकारिता, लेखरचना, कहानीकला, कंप्युटर आदि में डिप्लोमा. समावेशित शिक्षा पाठ्यक्रम में 74 प्रतिशत अंक के साथ अपने बैच में प्रथम. रचना प्रकाशन- सरिता, मुक्ता, चंपक, नंदन, बालभारती, गृहशोभा, मेरी सहेली, गृहलक्ष्मी, जाह्नवी, नईदुनिया, राजस्थान पत्रिका, चैथासंसार, शुभतारिका सहित अनेक पत्रपत्रिकाआंे में रचनाएं प्रकाशित. विशेष लेखन- चंपक में बालकहानी व सरससलिस सहित अन्य पत्रिकाओं में सेक्स लेख. प्रकाशन- लेखकोपयोगी सूत्र एवं 100 पत्रपत्रिकाओं का द्वितीय संस्करण प्रकाशनाधीन, लघुत्तम संग्रह, दादाजी औ’ दादाजी, प्रकाशन का सुगम मार्गः फीचर सेवा आदि का लेखन. पुरस्कार- साहित्यिक मधुशाला द्वारा हाइकु, हाइगा व बालकविता में प्रथम (प्रमाणपत्र प्राप्त). मराठी में अनुदित और प्रकाशित पुस्तकें-१- कुंए को बुखार २-आसमानी आफत ३-कांव-कांव का भूत ४- कौन सा रंग अच्छा है ? संपर्क- पोस्ट आॅफिॅस के पास, रतनगढ़, जिला-नीमच (मप्र) संपर्कसूत्र- 09424079675 ई-मेल [email protected]