लघुकथा

प्रेरक लघुकथा : सोनम गुप्ता बेवफ़ा है

सड़क किनारे एक बच्चा जो दिखने में दुधमुँहा ही लग रहा था, वह बच्चा अपनी माँ की दूध को मुँह से लगाये रोये जा रहा था और … माँ भी उसे चुप कराने की कोशिश नहीं कर रही थी, बस वह भी रोई जा रही थी, क्योंकि माँ की ममता के साथ उनकी दूध भी कब की सुख चुकी थी ! एक तो वह गरीब महिला थी और ऊपर से 3 दिनों से उन्हें किसी टाइप के भोजन की एक कौर तक नसीब नहीं हुई थी !!

परन्तु एक मरद उसे बहुत देर से ‘टुकर-टुकर’ देखे जा रहा था । वह उनके पास गया और कहा- ‘वो…हो… च ..च..च… क्या नाम है ?’
‘सोनम गुप्ता !!!!!!’ महिला रोती हुए जवाब दी तथा देश में पुराने रुपये वापस लिए जाने के कारण उनकी पास रखी पुराने रुपये से खाद्य पदार्थ नहीं खरीदे जाने के कारण वो अपनी और अपने बच्चे के 3 दिनों से भूखे रहे होने की बात बतायी !
‘मैं तुम्हें रोटी भी दूंगा, बच्चे को दूध भी और ये बिल्कुल नया, टटका 2,000 भी !’ मरद ने कहा ।
वो महिला उस मरद के साथ जाने को उद्धत हुई थी कि मरद ने शर्त्त भी कह डाला– ‘…..लेकिन तुम्हें अपनी जिस्म मुझे सौंपनी पड़ेगी !!!!’
वो बेबस महिला अपने बच्चे के कारण तैयार होती, कि बच्चा रोना छोड़ चुप हो गया और माँ की तरफ ऐसे देखने लगा– मानो माँ को वह यह करने को मना कर रहा हो !
महिला की ममता जागृत हो गयी, वह अब फिर से माँ बन गयी थी , पुनः उस मरदुआ से मुखातिब हुई– ‘मुझे नहीं चाहिए, आपके दिए रोटी, दूध और नए 2,000 टके । अपने पास ही रखिये …’
यह कह महिला अन्य ओर चल दी । मरद रोकने की कोशिश करने लगे– ‘अरे…रे… तुम तो अभी तैयार थी, अचानक मुझे क्यों त्याग दी ?’
‘नहीं बाबू जी ! ये बच्चे मेरी पास अभी जो है, ऐसे ही बेवफ़ा मरद की निशानी है… अब और नहीं !’
यह कह महिला एक ओर चल दी ।

वह मरद शून्य में ताकता रह गया–‘नहीं, मैं ऐसा नहीं हूँ । मैं तुम्हें पत्नी ही बनाता और भविष्य में उस बच्चे के बाप मैं ही होता….!’
किन्तु यह सुनने के लिए महिला वहाँ नहीं थी और मरद व्याकुल हो उठा, पॉकेट से कलम निकाल 2,000 के टटका नोट पर लिखने लगा– ‘सोनम गुप्ता बेवफ़ा है ।’ अब तो महिला की इंसानियत से भी आगे मरद की इंसानियत लग रही थी।