गीत/नवगीत

अवधी लोक गीत : गांव पियार

बहुतु है हमका गांव पियार
बहुतु है हमका गांव पियार।
गांव के मनई बड़े उदार
बहुत है हमका गांव पियार
बहुत है- – – –

रहे भैंसी कक्कू पनियाय
लड़िकवा ल्यादा रहे बनाय
बनै हसिया खुरपा तलवार
बनावै राधे किशन लोहार
सबै जन हमका करै दुलार
बहुुत है…………..

गांव माँ चलै नरेगा काम
बैंक खाता माँ आवै दाम
खडन्जा नाली औ आवास
गरीब न की भै पूरी आस
चमकि ग आँगन और दुआर
बहुत है………..

गांव के अइसी वइसी खेत
दहउरा नदी नदी का रेत
खेत माँ उपजै गन्ना धान
मकाई पैदा करै किसान।
ख्यात माँ लोखरी और सियार
बहुत है ……

गांव माँ भले होय तकरार
मुला आपस माँ उपजै प्यार
गांव माँ होय तीज त्यौहार
बिना लालच वाला व्यवहार
गांव माँ अबिहिव् शिष्टाचार
बहुत है – – – – –

गांव माँ धोती ओर कमीज
गांव मा अबहिंउ दिखै तमीज
गांव के सरल ह्रदय के लोग
गांव माँ होति न तगड़े रोग
गांव माँ फ्राक जीन्स सलवार
बहुत है……….

नीरज अवस्थी 

आशुकवि नीरज अवस्थी

आशुकवि नीरज अवस्थी प्रधान सम्पादक काव्य रंगोली हिंदी साहित्यिक पत्रिका खमरिया पण्डित लखीमपुर खीरी उ0प्र0 पिन कोड--262722 मो0~9919256950