छंदवद्ध गीत : ऐसा आया जमाना
ऐसा आया जमाना, यहां भाई को भाई काट रहा,
जाति -धर्म के नाम पर सियासती बंदरबांट रहा ।।
देश प्रेम की बात भूल ये फैलाते मजहबी दंगा,
अपनी पावन धरती पर बहवाते रक्त की गंगा,
शांति, शक्ति, सौहार्द भूले ये भूले झंडा तिरंगा
कही लहराकर हरा पताका कहीं गेंरूआ साट रहा
जाति-धर्म के नाम पर सियासती बंदरबांट रहा।।
अन्नदाता कृषक अपना भटक रहा है भूखा नंगा
आम आदमी लूला-लंगडा, भ्रष्टाचारी हुआ चंगा,
है किसकी हिम्मत जो ले इन हुक्मरानों से पंगा,
मंहगाई के इस आलम में नेता चांदी काट रहा
जाति-धर्म के नाम पर सियासती बंदरबांट रहा।।
कानून रख के ताक पर राज कर रहे हैं दबंगा
सत्ता के गलियारे में सब चाल चर रहे हैं बेढंगा
आम आदमी मारा -मारा फिरे बन बेडोर पतंगा
अपराधी यहां तो कानून को उल्टा डांट रहा,
ऐसा आया जमाना यहां भाई को भाई काट रहा ।।
— आरती आलोक वर्मा “नीलू”