लघुकथा

लघुकथा : संत जी

संत जी फलाहार लेकर विश्राम कर रहे थे। उनका एक युवा -शिष्य पांव दबा रहा था।
” गुरुदेव, आपको बिना मांगे ही चेला लोग लाखों रुपए दे देते हैं।”
” हूं। तुमने यह कहावत तो सुनी होगी -बिन मांगे मोती मिले, मांगे मिले न भीख।”
” जी, गुरुदेव। मैं भी तो आपसे कुछ नहीं मांगता, लेकिन मुझे कुछ नहीं मिलता।”
” तुम्हें क्या चाहिए ? चेलों के यहां छप्पन भोग लगाते हो। कपड़ा -लत्ता भी पा जाते हो। विदाई भी। मैं क्या दूं तुम्हें ?”
” गुरुदेव, आप तो जानते ही हैं कि अब मैं गृहस्थ हो चुका हूं। छुट्टी दे दिया कीजिए और चार -छह हजार रुपया भी।”
” हां। ठीक कहा तुमने। तुम दो-चार दिन बाद घर चले जाना और अपनी पत्नी को मेरी तरफ से ग्यारह सौ रुपए दे देना।”
” जी, गुरुदेव।”
” तुम ऐसा क्यों नहीं करते कि अपनी पत्नी को भी यहीं ले आ लो। सारा इंतजाम कर दूंगा। ”
संत जी के ‘स्त्री -प्रसंग’ से भली भांति वाकिफ शिष्य ने कहा, ” अम्मां -बाबू जी बुजुर्ग हैं, गुरुदेव। उन्हें छोड़ कर उसे कैसे लाऊं ? आप ही तो कहते हैं -माता -पिता की सेवा से बढ़कर कोई धर्म नहीं। ”
-राजकुमार धर द्विवेदी

राजकुमार धर द्विवेदी

1. नाम: राजकुमार धर द्विवेदी 2. धारक नाम / उपनाम (लेखन हेतु): विद्रोही / राज 3. जन्मदिन एवं जन्म स्थान: 0 7- 07 - 1967, ग्राम -झरी, पो. -पांती, हनुमना, जिला -रीवा, (मध्यप्रदेश)। 4. शैक्षणिक योग्यता (ऐच्छिक): स्नातक। 5. व्यवसाय: पत्रकारिता -वरिष्ठ उप -संपादक -'नईदुनिया', रायपुर (छत्तीसगढ़ ) जागरण समूह। 6. प्रमुख लेखन विधा: कविता (गीत/अन्य छंद/ नई कविता ) 7. साहित्यिक उपलब्धियाँ/पुरस्कार/सम्मान: -------कादम्बिनी, धर्मयुग, साप्ताहिक हिंदुस्तान, नंदन, पराग, सरिता, मुक्ता, चंपक और विभिन्न समाचार पत्रों में कविता-कहानी, लेख आदि का प्रकाशन और आकाशवाणी से नाटकों, वार्ताओं व कविताओं का प्रसारण। विभिन्न मंचों से काव्य -पाठ। साहित्य और पत्रकारिता के कई पुरस्कार प्राप्त। सतना, जबलपुर, रायपुर में कई बार सम्मानित। 8. रुचि/शौक़: बच्चों के लिए लिखने में खास रुचि, मित्र बनाना , घूमना, दर्दभरे गाने सुनना। 9. वर्तमान पता एवं सम्पर्क सूत्र (ऐच्छिक) : दैनिक नईदुनिया, जेल रोड, रायपुर (छत्तीसगढ़ ). मोबाइल - 7415338202 / 09425484657