कालेधन के खिलाफ ऐतिहासिक जंग
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विगत 8 नवंबर को टी.वी. पर देश को संबोधित करते हुए जब 500 व एक हजार के नोट बंद करने का ऐलान कर दिया ओैर उनका उपयोग सीमित स्थानों पर कुछ दिनों के लिए सीमित कर दिया। उसके बाद देश की जनता व राजनैतिक दलों में तेज हलचल होना स्वाभाविक था। लेकिन इस बार नोटबंदी का यह कदम कई प्रकार की हलचलें एक साथ पैदा कर रहा है। पहले 8 नवंबर फिर जापान से लेकर गोवा और गाजीपुर तक की जनसभाओं में इसे पीएम मोदी ने कालेधन के खिलाफ निर्णायक जंग का नाम देकर देश की जनता से 70 साल की तुलना में मात्र 50 दिनों का सहयोग मांगा है।
पीएम मोदी का साफ कहना है कि अब कालेधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक जंग शुरू हो चुकी है। जिन लोगों के पास कालाधन है वह बहुत बड़े लोग हैं तथा कुछ भी करने और करवाने में माहिर हैं। उनकी अपील का असर भी हो रहा है आज देश की जनता बड़े ही धैर्य के साथ पंक्तिबद्ध होकर नोट बदलवाने का काम कर रही हैं। देश में अराजकता का कोई माहौल नहीं हैं। आज देश में अराजकता का माहौल केवल उन लोगों को ही दिखलायी पड़ रहा है जिनके पास विगत 70 साल से कालाधन ही भरा पड़ा है। पीएम मोदी ने गोवा में इस बात के संकेत भी दे दिये हैं कि आगामी 30 दिसंबर के बाद कोई भी नहीं बच पायेगा। कालेधन के सभी रास्तों को पूरी तरह से बंद कर दिया जायेगा।
पीएम मोदी के नोटबंदी के ऐलान के बाद काफी कुछ बदल गया है और लग रहा है कि आगामी 50 दिनों के बाद बहुत कुछ बदल जायेगा। पीएम मोदी ने एक ओर जहां आतंकवाद, नक्सलवाद और भ्रष्टाचार के खिलाफ ऐतिहासिक जंग छेड़ दी हैं वहीं दूसरी ओर दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकवाद की राजनीति करने वाले दलों तथा ग्रामीण क्षेत्रों की गरीब जनता के बीच धन की बर्बादी करके चुनाव जीतने वाले दलों को यह नोटबंदी रास नहीं आ रही है। अब इन्हीं दलों ने कालाधन समाप्त करने की बजाय पीएम मोदी व भाजपा को समाप्त करने के लिए संसद से सड़क तक उनकी घेराबंदी करने के लिए महागठबंधन करने के प्रयास भी प्रारम्भ कर दिये।
आज नोटबंदी के बाद सबसे बड़ी समस्या असल में बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सामने खड़ी हो गयी है क्योंकि उनकी राजनीति का सारा धंधा कालेधन पर ही टिका था। उसके बाद उप्र की राजनीति में बसपा नेत्री मायावती और समाजवादी परिवार के सामने भी एक बड़ा संकट पैदा हो गया है। पीएम मोदी ने अपनी गाजीपुर की रैली में बसपा नेत्री मायावती पर हमला बोलते हुए कहा भी है कि उप्र में तो एक नेता ने नोटों की ऐसी माला पहनी थी कि उनकी मुंडी भी नहीं दिखलायी पड़ रही थी। पीएम मोदी पूरी तरह से आत्मविश्वास से भरे हुए हैं तथा उन्हें अपनी जीत का पूरा भरोसा भी है। उन्हें यह भरोसा हो भी क्यों न? अब तो सर्वोच्च न्यायालय ने भी नोटबंदी में हस्तक्षेप से इंकार कर दिया है तथा देश की पांच अदालतों ने नोटबंदी को देशहित में उठाया गया कदम बताया है। पीएम मोदी के खिलाफ जहां पूरे देशभर के विरोधी हल्ला बोल रहे हैं वहीं चीन व पाक मीडिया में उनकी तारीफों के पुल बांधे जा रहे हैं।
नोटबंदी के ऐलान से जनता को कुछ समय के लिए परेशानी हो सकती है लेकिन आतंकवाद के खिलाफ ब्रेक लगाने के लिए यह बहुत जरूरी हो गया था। भारत में डाॅन दाऊद इब्राहीम व उसके गुर्गो का सारा धंधा कालेधन पर ही चलता आ रहा था। जिसमें नशीले पदार्थो की तस्करी से लेकर सभी प्रकार के जरायम के अपराध शामिल थे। वह पाकिस्तान व नेपाल में बड़े नकली नोटों को छपवाकर भारत में भेजकर अपनी एक अलग अर्थव्यवस्था का निर्माण कर चुका था। नोटबंदी का पहला असर यह हुआ है कि दाऊद के कारोबारी साम्राज्य को बहुत बड़ी करारी चोट पहंुची है।
खबर है कि पाकिस्तान में नकली नोट बनाने वाली फैक्ट्रियां बंद हो चुकी हैं। जम्मू कश्मीर में जो अलगाववादी बड़े नोटों व कालेधन के सहारे पत्थरबाजों को पैदा कर रहे थे वह सभी अचानक से आठ नवबंर के बाद ऐसे गायब हो गये हैं, जैसे गधे के सिर से सींग। 8 नवंबर के बाद कश्मीर घाटी में पत्थरबाजी, आगजनी और हिंसा की कोई वारदात नहीं हुयी है। 8 नवंबर के बाद कश्मीर घाटी में भारत विरोधी नारेबाजी नहीं हुयी है और नहीं पाकिस्तान व आईएसआईएस के झंडे फहराये गये हैं। कालेधन से ही नक्सलवाद की समस्या भी उग्र हो रही थी उसमें भी लगाम लगने की संभावना सुरक्षाबलों की ओर से व्यक्त की जा रही है।
नोटबंदी का असर कई प्रकार से देखा व महसूस किया जा रहा है। एक ओर जहां नोटबंदी के फैसले व सरकारी बिलों के भुगतान में बड़े नोटों के उपयोग करने की छूट देने के बाद अब देशभर में सभी प्रकार के सरकारी बिलोें के भुगतान में तेजी आ गयी है। सभी जगह गृहकर जलकर व बिजली के बिल जो लोगों ने काफी समय से नहीं दिये थे वे अब जमा हो रहे हैं। उप्र में बिजली विभाग जलकल विभाग जो बिल न जमा होने के कारण हमेशा घाटे में रहते थे उनका घाटा तो मात्र दो दिनों में ही पूरा हो गया हैं। जिसके कारण आज की तारीख में इन विभागों के बड़े अफसर भी मन ही मन गदगद हो रहे हैं तथा उनमें से अधिकांश अफसरों का मानना है कि अभी तक किसी का दिमाग इतना तेज नहीं चला था कि रातोंरात सारी की सारी वसूली हो जाये और अपना काम भी। इन अफसरों का कहना है कि अब आगामी एक-दो साल तक वेतन और विकास कार्यो के लिए धन की कोई कमी नहीं होने पायेगी।
वहीं दूसरी ओर आज उन लोगों को सबसे अधिक समस्या का सामना करना पड़ रहा है जिनके पास बिना किसी लिखा पढ़ी का पैसा भरा पड़ा है तथा वे पूरी ईमानदारी के साथ बैंक जाकर उसे जमा नहीं करवा सकते। वहीं लोग आज अपने पैसे को गंगाजी को अर्पित कर रहे हैं। वहीं लोग कूड़े के ढेर में मां लक्ष्मी को फेंक रहे हैं तथा आग में जला रहे हैं। बहुत से मंदिर जहां दिन भर में मुश्किल से 2 से 10 हजार का ही दान आता था वहां पर अचानक से 44 लाख रूपया जमा हो गया। लुधियाना में 26 करोड़ रूपया बरामद किया गया। आज वाकई में अराजकता उन लोगों के दिल और दिमाग में छा गयी है जिनके पास दो नंबर की कमाई का पैसा है। यह लोग अपने कालेधन को छिपाने के लिये जन-धन खातों को भी नहीं छोड़ रहे। अब सरकार की उस पर भी नजर हो गयी है।
पीएम मोदी का कहना भी है कि हमारी नजर सब पर है। चाहे वह रात के अंधेरे में नोटों की बोरी को बहा दें या फिर नमक व चीनी की कमी होने की अफवाह फैला दें। अब उनकी नजर से कोई नहीं बचने वाला। अराजकता फैलाने वालों ने तो बैंक कर्मचारियों की हड़ताल की अफवाह तक फैला दी। बहुत से कालेधन के प्रेमी अराजकता फैलाने का हरसंभव प्रयास करेंगे ताकि पीएम मोदी की यह जंग सफल न हो पाये। अभी तक यही लोग पीएम मोदी के खिलाफ प्रचार कर रहे थे कि पीएम मोदी भ्रष्टाचार के खिलाफ कुछ नहीं कर रहे हैं, अपने उद्योगपतियों को लाभ पहुंचा रहे हैं। जब पीएम मोदी ने कालेधन के खिलाफ जंग का महाअभियान शुरू कर दिया तो उसके खिलाफ यही लोग महागठबंधन बनाने पर उतर आये हैं। इन दलों को साफ पता है कि यदि पीएम मोदी का यह अभियान सफल हो गया तो इन लोगों का राजनैतिक कैरियर पूरी तरह से समाप्त हो जायेगा।
उधर उप्र के मुख्यमंत्री दावा कर रहे हैं कि कालाधन मंदी के दौर में सहायता करता है। इसका मतलब यह है कि सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव और उनका कुनबा कालेधन के सहारे ही खाली समय में राजनीति कर रहा है तथा आगे भी उनकी यही योजना थी। नोटबंदी के कारण संभव है कि अखिलेश यादव अब बड़ी योजना का ऐलान व शिलान्यास न करवा पायें। मुख्यमंत्री अखिलेश का जो विकास रथ प्रदेश भर में जाने वाला था, वह 8 नवम्बर को नोटबंदी के बाद से पंचर होकर जाम हो गया है। इससे पता चलता है कि उनका वह रथ काले धन के बल पर ही चल रहा था।
— मृत्युंजय दीक्षित