कविता

तेरा प्यार

हौसले सारे मिट जाऐंगे किश्तों में
वो बात ही जब ना रह जाऐगी रिश्तों में

पतझड़ को अब, तू बहार समझता है
कर के मुझ को दूर,तू प्यार समझता है

जो मै सोच नहीं सकता, तू बुन लेता है
सवालों के उत्तर, खुद ही चुन लेता है

तुझे जो सोचते गुजरी उन रातों पे
बस हस लिया तूने मेरी बातों पे

तूझे यूँ चाहना हम दम मेरी आदत है
तेरा जो प्यार पाया हूँ मेरी इबादत है

तेरे हाथों की दुआओं में ही मेरी हस्ती है
तेरे चेहरे के रौनक पे मेरी दुनिया ये बस्ती है

दिल और मन से अपने वो साफ ना करना
उस रोज़ की गलती को मेरी माफ़ ना करना

आज नम आँखों से ये बात निकलती है
तेरा हूँ सोच के ही खुशियाँ मिलती है

जिन्दगी भ्रम है एक दिन सबको जाना है
तूझे चाहते चला जाऊ बस यही तमन्ना है

– डॉ० शरदेन्दु कुमार त्रिपाठी,
लखनऊ
mobile no. 8299546343

डॉ. शरदेन्दु कुमार त्रिपाठी

जन्म 10.07.1981 को ग्राम चरौवां, जिला बलिया उ.प्र. में इंटर तक की पढ़ाई डीएवी इंटर कालेज, बिल्थरा रोड, बलिया से। बी.ए. तथा प्राचीन भारतीय इतिहास में एम.ए. और पीएच.डी. लखनऊ विश्वविद्यालय से। इतिहास विषय में राज्यस्तरीय पात्रता परीक्षा (SLET) तथा राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (NET) भी उत्तीर्ण कीं। पश्चात् अवध विश्वविद्यालय से मध्यकालीन और आधुनिक इतिहास में एम.ए. किया। सम्प्रति लखनऊ के एक डिग्री कालेज में इतिहास के प्रवक्ता पद पर कार्यरत। किताब, शोध पत्र और कवितायें प्रकाशित। मंचों पर भी काव्यपाठ करते हैं। मो. नं. 8299546343 ईमेल- [email protected]