मुक्तक/दोहा

मन के भाव — दोहे के रूप में

1–
अक्षर-अक्षर सीख ले, कहती रही किताब।
इम्तिहान के दौर में, पूछत फिरै जबाब ।।

2 —
सर्दी के दिन देख के, सूरज मांगे ताप।
धूप पड़ी सुस्तात है, मुख से निकले भाप।।

3 —
चोट लगे दिल पर कभी, मन को दीजे धार।
क्रोध कभी ना पालिये, करिये शब्द प्रहार।।

साधना अग्निहोत्री

Birth -- 13 / 10 /1964 Siksha -- M A / Economics