लघुकथा

लेना न देना गिलास फोड़ी छ: आना

लोग कतार में थे। ठंड का मौसम था। चाय पीने का मजा जब आता है चार दोस्त भाई मिल जाए। अचानक पांच मित्रों का साथ हो गया। चलो चाय पी ली जाये।

चाय वाले से कहा पांच चाय बना दो चाय वाला बोला ठीक है बैठो बनाते है गिलास फोड़ी छ: आना । चाय पीकर पांचों ने अपने अपने गिलास पानी से धो ही रहे थे तभी चाय वाला जौर से चिल्लाने लगा “लेना न देना गिलास फोड़ी छ: आना ” जब कोई गिलास फूट जाती तो छ: वसूल किए जाते है।

अनिल कुमार सोनी

जन्मतिथि :01.07.1960 शहर/गाँव:पाटन जबलपुर शिक्षा :बी. काम, पत्रकारिता में डिप्लोमा लगभग 25 वर्षों से अब तक अखबारों में संवाददाता रहा एवं गद्य कविताओं की रचना की अप्रकाशित कविता संग्रह "क्या तुम समय तो नहीं गवां रहे हो "एवं "मधुवाला" है। शौक :हिंदी सेवा सम्प्रति :टाइपिंग सेंटर संचालक