गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

समुंदर में कई प्यासे उतर कर डूब जाते हैं
किसी की प्यास में सारे समुंदर डूब जाते हैं

कभी सैलाब आते हैं बड़ी ख़ामोशियों के साथ
खड़ी रहती हैं दीवारें मगर घर डूब जाते हैं

सहारा ज़िन्दगी देते हुए जब डगमगाती है
हम अपने ख़्वाब के दर्या में जा कर डूब जाते हैं

कभी इक ज़लज़ला ख़ुद हम से हो कर यूँ गुज़रता है
हमेशा के लिए हम अपने अंदर डूब जाते हैं

फिसलने पर सँभलने का हुनर आया नहीं हमको
किनारे तक पहुँचते हैं तो अक्सर डूब जाते हैं

कृष्ण सुकुमार 

कृष्ण सुकुमार

जन्म-15.10.1954 प्रकाशित पुस्तकें- 1. इतिसिद्धम् (उपन्यास) 1988 में वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली 2. पानी की पगडण्डी (ग़ज़ल-संग्रह) 1997 में अयन प्रकाशन, नई दिल्ली 3. हम दोपाये हैं (उपन्यास) 1998 में दिशा प्रकाशन, नई दिल्ली 4. सूखे तालाब की मछलियां..(कहानी-संग्रह) 1998 में पी0 एन0 प्रकाशन, नई दिल्ली 5. आकाश मेरा भी (उपन्यास) 2002 में मनु प्रकाशन, नई दिल्ली 6. उजले रंग मैले रंग (कहानी-संग्रह) 2005 में साक्षी प्रकाशन, नई दिल्ली 7. सराबों में सफ़र करते हुए (ग़ज़ल-संग्रह) -2015 अयन प्रकाशन, नई दिल्ली संकलन-देश के विभिन्न प्रदेशों से प्रकाशित लगभग दो दर्जन संकलनों में कहानियां, कविताएं एवं ग़ज़लें संकलित। प्रकाशन- हिन्दी की शताधिक पत्र-पत्रिकाओं में कहानियां एवं व्यंग्य तथा ग़ज़लें और कविताएं प्रकाशित। पुरस्कार/सम्मान- 1. उपन्यास “इतिसिद्धम्” की पांडुलिपि पर वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली द्वारा ”प्रेम चन्द महेश“ सम्मान- 1987 तथा वाणी प्रकाशन द्वारा प्रकाशित 2. उत्तर प्रदेश अमन कमेटी, हरिद्वार द्वारा “सृजन सम्मान”-1994. 3. साहित्यिक संस्था ”समन्वय,“ सहारनपुर द्वारा “सृजन सम्मान”-1994. 4. मध्य प्रदेश पत्र लेखक मंच, “बैतूल द्वारा काव्य कर्ण सम्मान”-2000. 5. साहित्यिक संस्था ”समन्वय,“ सहारनपुर द्वारा “सृजन सम्मान”-2006 सम्पर्क- ए० एच० ई० सी० आई. आई. टी. रूड़की रूड़की-247667 (उत्तराखण्ड) मोबाइल नं० 9917888819 ईमेल [email protected]